बक्सर खबरः आज बुधवार को संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत मनाया जाना है। व्रत विधान के अनुसार अर्घ्य देने का समय (चन्द्रार्घ ) रात्रि 8ः17 चन्द्रोदय के बाद। अचार्य पंड़ित नरोत्तम द्विवेदी के अनुसार भाद्रपद मास की कृष्ण चतुर्थी जो चन्द्रोदय युक्त हो उसी दिन इस व्रत को करने का शास्त्रीय विधान है। पुराणों के अनुसार भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी तिथि को ही गणेश जी का अवतार हुआ था। द्विवेदी ने बताया कि शास्त्रों में वर्णित आख्यानों के अनुसार श्रीगणेश जी संकट नाशन देवता के रुप मे प्रतिष्ठित है, एवं सर्व मनोकामना सिद्धि में सहायक देवता भी माना गया है। आज के दिन महिलाएं दिन भर उपवास रखकर रात्रि में गणेश सहित पूरे शिव परिवार की सविधि पूजन करके चन्द्रोदयोपरान्त चन्द्रमा को विशेष अर्घ देती है।
इस मंत्र से चन्द्रमा के अर्घ देने से होती है मनोकामा पुरी
बक्सर खबरः चन्द्रार्घ मंत्र-ॐ क्षीरोदार्णव सम्भूत अत्रि गोत्र समुद्भव।
ग्रहाण अर्घ्यं शशांकेद रोहिणी सहितो मम।।
प्रदक्षिणा मंत्र-यानि कानि च पापानि जन्मांतरेव कृतानि च।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणा पदे पदे।।
पाँच बार अर्घ्य एवं पाँच प्रदक्षिणा चन्द्रमा का करने का शास्त्रीय विधान है।आज ही के दिन कुवाँरी कन्यायें बहुला व्रत रखती है। सायं काल होने पर मिट्टी या गोबर से गाय बछड़े, पहाड़ एवं बाघ की प्रतिमा बनाकर पीढ़ा पर स्थापित कर गणेश सहित पूजा करती है। और अपनी मनोकामना सिद्धि हेतु विशेष प्रार्थना करती है।
जाने क्या है बहुला कथा
बक्सर खबरः इसका विस्तृत वर्णन बहुला व्रत कथा मे है। बहुला नामक गाय बछड़े सहित जंगल मे चरती है, उसी समय एक बाघ आता है। गाय का शिकार करने। बहुला गाय कहती है मैं अपने बछड़े को भर पेट दूध पीलाकर बछड़े को सुरक्षित करके आऊगी तो मेरा शिकार करना। बहुला गाय गणेश जी की भक्त थी। बहुला बचन पूरा करने हेतु जब आती है, तो बाघ भी विचलित हो जाता है और बहुला को अभय दान दे देता है। अंत मे बाघ का भी उद्धार हो जाता है। संकष्टीगणेश पूजन एवं व्रत से जहाँ कामनाओं की सिद्धि होती है,वहीं संकट का नाश भी होता है।