बक्सर खबरः गीता के श्रवण मात्र से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। यह किसी धर्म विशेष का नहीं बल्कि संपूर्ण मानव का शास्त्र है। उक्त बातें नगर के साफाखाना रोड स्थित कुटीर आश्रम में यथार्थ गीता के प्रतिपादक श्री अगड़ानंद जी महाराज ने बुधवार को डुमरांव में प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि गीता को हर घर में रखना चाहिए। उन्हांेने कहा मानव का जीवन एक ऐसा बीमा है, जो कर्म के आधार पर निर्धारित होता है।
उन्होंने कहा कि शरीर वस्त्र की तरह है। एक शरीर की आत्मा दूसरे शरीर को धारण करती है। मनुष्य इंद्रियोें को वष में कर इशर््वर को प्राप्त कर सकता है। श्री स्वामी जी ने कहा कि ध्यान से ही भगवान की प्राप्ति होती है। स्वामीजी ने कहा कि परमात्मा में प्रवेष दिलाने वाले क्रियात्मक अनुशासन के नियमों का संकलन ही शास्त्र है। इस दृष्टि से भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उद्धित गीता सनातन का शास्वत धर्मशास्त्र है। जो चारों वेद उपनिषद, समस्त योग शास्त्र, रामचरित मानस तथा विश्व के सभी जाति, धर्म तथा दर्शन का अकेले ही प्रतिनिधित्व करता है।
प्रवचन के दौरान स्वामी जी ने एक से बढ़कर एक रोचक कथाओं का वर्णन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके पूर्व उनके डुमरांव आगमन पर हजारों श्रद्धालुओं उनका स्वागत किया। प्रवचन के दौरान करीब 10 हजार लोग उपस्थित थे। प्रवचन आयोजित कराने में श्री अगड़ानंद जी महाराज के शिष्य पोखराज भारती, अंनत भारती, डा. मनीष जायसवाल, डा. चंद्रशेखर, इंद्रजीत, जवाहर, विनोद सहित अन्य थे।