बक्सर खबर : यह जीवन मनुष्य को मिला है। लेकिन इसे कैसे जिना चाहिए। यह बहुत से लोगों को पता नहीं। उसी तरह अधिकांश लोगों को मरना भी नहीं आता। अगर आपने जन्म लिया है तो इसे आपको ही समझना होगा। मानव जीवन सिर्फ भोजन करने और संतान उत्पत्ति के लिए नहीं मिला है। वही व्यक्ति जिंदा है जिसका व्यक्तित्व जिंदा है। अर्थात पुरुषार्थ के बगैर जीने वाले व्यक्ति जीवन नहीं जी पाता। जीवन को सार्थक व सफल बनाने के लिए सात सूत्र बताए गए हैं। इनमें प्रथम स्थान है आसन का। व्यक्ति का आसन, शुद्ध होना चाहिए। दूसरा व महत्वपूर्ण सूत्र है इन्द्रियों पर संयम। इसके बगैर मनुष्य सफल जीवन की कल्पना संभव नहीं।
यह बातें महान तपस्वी जीयर स्वामी जी महाराज ने गुरुवार को अपनी कथा के दौरान कहीं। चातुर्मास व्रत अनुष्ठान के दौरान इन दिनों उनके श्री मुख से अमृत वर्षा आरा जिला के चंदवा में हो रही है। स्वामी जी महाराज ने जीवन सूत्रों की व्याख्या करते हुए कहा प्रथम आसन, द्वितीय इंन्द्री संयम, श्वास, क्रोध, आहार, व्यवहार तथा संग। इन सभी पर व्यक्ति को ध्यान देना चाहिए। आसन अर्थात आपके उठने, बैठने, पढऩे, पूजा करने की जगह शुद्ध एवं उचित आसन पर होनी चाहिए। अगर मनुष्य अपनी चंचल इन्द्रियों को वश में नहीं करेगा तो कोई व्यक्ति कहीं भी फंस सकता है। साथ ही अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकता। इन पर वश रखना नितांत आवश्यक है। व्यक्ति को अपने क्रोध, व्यवहार, संग एवं आहार का ध्यान रखना चाहिए। इन सभी का प्रभाव मनुष्य के जीवन पर पड़ता है। यह बात आप सभी समझते होंगे। इसका अनुश्रवण करने वाले का जीवन और मृत्यु दोनों सुधर जाते हैं। यह उपदेश सुकदेव जी महाराज ने महाराज परीक्षित को दिए थे।