बक्सर खबर : जयमंगल पांडेय, यह उस व्यक्ति का नाम है। जिसने पत्रकारिता के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया। जी हां, एक दो नहीं पूरे 32 वर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में जीवंत प्रतिमान की तरह कायम हैं। यूं कहें पत्रकारिता के रंग में रंग चुके पांडेय जी आज भी पैदल यात्रा ही करते हैं। इनका मानना है, कलम के सच्चे सिपाही बनने की सनक ने इनका सुनहरा भविष्य स्वाहा हो गया। उसका इन्हें मलाल नहीं गर्व है। बक्सर खबर के साप्ताहिक कालम इनसे मिलिए, के संदर्भ में हमारी इनसे बात हुई । आपके समक्ष प्रस्तुत है उनके शब्दों में, उसके कुछ अंश।
आर्यावर्त में छपा था पहला लेख
बक्सर खबर : बात उन दिनों की है। जब मेरा पहला लेख आर्यावर्त में छपा था। 1985 में कर्मयोगी स्वामी विवेकानंद, शीर्षक से लेख पटना भेजा। वहां से पत्र द्वारा मुझे सूचना दी गई। आपका लेख चयनित कर लिया गया है। उसे फिचर पेज की लीड स्टोरी के रुप में मेरे नाम के साथ प्रकाशित किया गया। खुशी का वह लमहा बयां करने लायक नहीं है। तब मैंने स्वयं जाकर संपादक हिरानंद शास्त्री झा से मुलाकात की। उन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया। फिर शुरु हुआ खबरों का सिलसिला। जो आजतक चल रहा है।
छोटी खबर पर पूरा प्रशासन आ जाता था हरकत में
बक्सर खबर : बात 1987 की है। मुख्यमंत्री विदेश्वरी दुबे ब्रह्मेश्वर नाथ तालाब का जीर्णोद्धार करा रहे थे। इसमें हो रही हिलाहवाली की खबर मैने छापी। संक्षिप्त खबर छपी थी। तालाब की सफाई में नाटक, यह शीर्षक था। दो दिनों के भीतर बक्सर के एसडीओ राजेन्द्र झा, अगले दिन भोजपुर के डीएम ताराकांत मिश्रा पहुंचे। एक आज का दौर है। बगैर निगेटिव खबर के प्रशासन सुनता ही नहीं। पत्रकारिता का स्तर भी काफी नीचे गया है।
पत्रकारिता का सफर
बक्सर खबर : पत्रकारिता का सफर वर्ष 1985 में प्रारंभ हुआ। 1988 में आर्यावर्त का प्रकाशन बंद हो गया। मैं भी एलएलबी की पढ़ाई करने लगा। इस बीच 1993 में राष्ट्रीय सहारा दिल्ली के संस्करण से जुड़ा। साथ ही साथ आज अखबार के संपर्क में आया। दोनों में खबरें साथ छपने लगी। सहारा को कोई आपत्ति नहीं थी। वह दिल्ली से छप कर आता था। यह क्रम 1999 तक चला। इस बीच दैनिक जागरण ने बिहार में दस्तक दी। वर्ष 2000 में उससे रिश्ता जुड़ा। यह क्रम छह वर्षो तक चला। इन वर्षो से परिवार का बोझ सताने लगा। मुख्य धारा से अलग होते हुए मैंने अपने पैतृक गांव ब्रह्मपुर में पांव जमाना प्रारंभ किया। यहां आने के बाद न्यूज एजेंसी वार्ता व राष्ट्रीय सहारा के लिए लिखता रहा। अब वार्ता का साथ छूट गया है। चौथी दुनिया व राष्ट्रीय सहारा के लिए अभी भी कलम चल रही है।
मुश्किल दौर, तेरही के दिन छपती थी हत्या की खबर
बक्सर खबर : उस वक्त की पत्रकारिता बहुत चुनौती का कार्य था। जब भी आप आगे बढ़ते हैं। कुछ लोग आपकी आलोचना में जुट जाते हैं। हमने भी उसकी चिंता नहीं की। हम तीन साथ रहते थे। कुंदन ओझा व केके ओझा। हमने बहुत सी स्टोरियां छापी। लेकिन संसाधन का अभाव हमेशा परेशान करता रहा। मुझे एक प्रसंग याद आ रहा है। राजपुर प्रखंड के रामपुर गांव निवासी मुखिया विजय राय की हत्या हुई थी। तब खबर डाक से पटना जाती थी। खबर उस दिन छपी जिस दिन उनका श्राद्धकर्म था। आज का युग बदल चुका है। चौथा स्तंभ फोरजी के साथ चल रहा है।
चलते-चलते जीवन परिचय
बक्सर खबर : जयमंगल पांडेय जितने पत्रकार हैं। उतने ही आम आदमी। कभी दियरा की आग पर प्रथम पेज पर लगातार खबरें छाप पूरे बिहार में सुर्खियों में छाए रहे थे। आज ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर में प्रतिदिन बाबा का दर्शन पूजन कर जग के मंगल की प्रार्थना कर रहे हैं। इनका जन्म 15 जून 1965 को हुआ था। पिता जानकी पांडेय जी अब नहीं रहे। उनकी तीन संतानों में वे सबसे बड़े हैं। ब्रह्मपुर से हाई स्कूल करने के बाद वे आरा पढने गए। जैन कालेज से इंटर व एमए की पढाई पूरी की। महाराजा कालेज से एलएलबी किया। जीवन में नौकरी पाने के कई मौके मिले। लेकिन, पत्रकारिता के नशे में वे जाते रहे। उन्होंने पत्रकारों के लिए एक बात कही। लिखने वाले को हमेशा अध्ययन करना चाहिए। जब आप स्वयं नहीं जानेंगे। दूसरे को क्या बताएंगे।
(आपके सुझाव आमंत्रित हैं। आप पाठक व मित्र हमें मेल भी कर सकते हैं(buxarkhabar@gmail.com) । हमारा नंबर है 9431081027, मिलते हैं अगले रविवार इसकी कड़ी में)
जयमंगल पांडेय एक निडर,ईमानदार और दयालु प्रविर्ती के इंसान है, तीस सालों से इनका साथ और आशीर्वाद प्राप्त है , सरल,सीधे और सादगी पसंद ।मैं इनके लंबे उम्र की कामना करता हूँ ।
दिनेश औझा, प्रभात खबर