बक्सर खबर : सूचना का अधिकार कानून जब लागू हुआ तो इसकी चर्चा पूरे देश में थी। आरटीआई के द्वारा ऐसे बहुत से मामले सामने आए जो भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले थे। यूं कहें कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कारगर हथियार बने इस कानून ने कितनों के होश उड़ा दिए। यह प्रभावी कानून फिलहाल बिहार में दम तोड़ रहा है। क्योंकि सूचना देने वाले आवेदन पर ध्यान नहीं देते। इसकी वजह यह है कि बिहार में अपीलीय प्राधिकार ही नहीं रहा। इसके अधिकाशं पद रीक्त हैं। जिसकी वजह से सुनवायी में महीनों नहीं वर्षो लग जाते हैं। चौसा प्रखंड के डिहरी गांव निवासी आरटीआई कार्यकर्ता विक्रांत राय के आवेदन इसके उदाहरण हैं। उन्होंने आवेदन संख्या आरटी 201525191, आरटी 201525192, आरटी 2016983, आरटी 201626170 के द्वारा धान अधिप्राप्ति, डीजल अनुदान, शौचालय निर्माण आदि की जानकारी प्रखंड कार्यालय एवं सहकारिता पदाधिकारी से मांगे। इनमें से कोई सूचना उनको नहीं मिली। अलबत्ता कुछ लोगों ने उनको धमकी जरुर दी। इसकी सूचना भी उन्होंने संबंधित अधिकारियों को दी। आरटीआई मंच के प्रदेश महासचिव व सामाजिक कार्यकर्ता अमित राय ने इसका हवाला देते हुए कहा कि मामले की जानकारी सूचना कमिश्नर को दी गयी। उनके यहां अपील भी दायर की गयी है। पर अभी तक कार्रवाई नहीं हो पायी है। अब देखना यह है कि कानून में निर्धारित समय अवधि के भीतर सूचना उपलब्ध नहीं कराने वालों पर क्या कार्रवाई होती है।