बक्सर खबर : ज्युतिया स्नान के दौरान शुक्रवार को रामरेखा घाट पर हृदय विदारक घटना हुयी। लगभग साठ वर्ष की महिला भीड़ का शिकार हो गयी। रास्ते में गिरी तो फिर उठ न सकी। लोग उसके कुचलकर आगे बढ़ते रहे। उसका पूरा शरीर खून से लथपथ हो गया था। यह वाकया अपराह्न साढ़े पांच बजे का है। मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना उस घाट पर हुयी। जहां शहर के सबसे ज्यादा धर्मावलंबी व समाजसेवी काम काम करते हैं। उक्त महिला पर रामेश्वर मंदिर में पूजा करने पहुंची महिला अधिवक्ता की नजर पड़ी। उन्होंने उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया। किसी तरह उसे पास में ही स्थित डा. फरीदी के क्लिनिक ले गयीं। डाक्टर ने उसकी हालत देखते हुए सदर अस्पताल ले जाने की सलाह दी। अधिवक्ता श्यामा श्री ने अधेड़ महिला को टैम्पों कर सदर अस्पताल भेजा। महिला कौन थी, इस बारे में कुछ पता चला। बक्सर खबर के सवाल पर उन्होंने बताया कि राजपुर थाना के सरेंजा गांव की थी। वह अपने गांव की महिलाओं के साथ यहां आयी थी। उसका साथ छूट गया। खबर की तस्दीक के लिए शुक्रवार की रात ही सदर अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक से बात की गयी। उन्होंने कहा ऐसा कोई केश नहीं आया। अलबत्ता अधिवक्ता ने घायल महिला के गांव के लोगों को फोन से इसकी सूचना पहले ही दे दी। शनिवार को महिला का हाल लेने के लिए जब सरेंजा गांव के लोगों से संपर्क किया तो दिल बैठा देने वाली सूचना मिली। दुखनी देवी अब नहीं रही। घर वाले उनके दाह संस्कार की तैयारी में लगे हैं। मानवता को शर्मसार करने वाली यह घटना जिस वक्त हुयी। उस वक्त शहर के एक घाट पर गंगा आरती और स्वास्थ्य जांच शिविर जैसा कार्यक्रम चल रहा था। ऐसे कार्यक्रमों का औचित्य क्या है ? जब शहर के किसी घाट पर ऐसा दुखद वाकया हो जाए और किसी को भनक तक नहीं लगे। जरुरी है ऐसे मौकों पर धरना प्रदर्शन छोड़ जन मानस की सेवा करने की। जिससे लोगों में अच्छा संदेश जाए। न कि शहर की सड़कों पर जिंदा बाद और मुर्दाबाद किया जाए।