बक्सर खबरः नवजात बच्ची गुरुवार को रोती हुई झाडी में मिली। यह वाकया डुमरांव का है। इंडेन गैस एजेंसी के पीछे झाड़ी में नवजात के रोने की आवाज सुना गया। अवाज सुन जलावन के लिए लकड़ी चुनने आई दक्षिण टोला निवासी मुन्नी देवी पति श्याम सुंदर राम के अंदर की मां की ममता जग गई। उसने अपने पति के साथ मिल उक्त मासूम को गोद में उठा थाने ले आई।
घटना की जानकारी देते हुए उक्त बच्चा को गोद लेने की अनुमति देने की गुहार लगाई। मामले की गंभीरता को देखते हुए थानाध्यक्ष सुबोध कुमार ने चाइल्ड लाइन की टीम को बुला कागजी प्रक्रिया पूरी कराते हुए उक्त बच्चें को मुन्नी देवी को सौंपा। लेकिन चाइल्ड लाइन ने सरकारी नियम को बाधा बातते हुए सरकारी संरक्षण में ही बच्ची को रखने की बात की। इसके उपरांत उसे बक्सर लाया गया। यहां डाक्टरों से उसकी जांच कराई गई। चाइल्ड लाइन से जुडे विनोद सिंह ने मीडिया को बताया डाक्टरो के अनुसार वह स्वस्थ है। अभी उसकी उम्र महज पांच-छह घंटे की है। फिलहाल उसे सरकारी संरक्षण में ही रखा जाएगा।
दोषी कौन : मां की ममता या पिता का काला सच
बक्सर : झाड़ी में मिली नवजात की खबर सुनते ही डुमरांव में भीड़ जमा हो गई। सभी मां की ममता कलंकित हो गई। ऐसा कह रहे थे। लेकिन क्या इस तरह की घटना के लिए सिर्फ मां दोषी है? कोई भी प्रसुता स्त्री जन्म के तुरंत बाद अपने बच्चे को फेंक दे। ऐसा संभव नहीं। क्योंकि वह तो चल पाने की स्थिति में नहीं होती। इसमें दूसरे लोगों का हाथ होता है। अस्सी प्रतिशत ऐसे मामले इस बात की गवाही देते हैं। ऐसा तभी होता है जब संतान नाजायज हो। अन्यथा गरीब से गरीब व्यक्ति एक नहीं कई-कई संतानों का बोझ उठाता है। इस तरह की घटना के लिए मां की ममता को कलंकित होना कहना उचित नहीं। इसके लिए जिम्मेवार पिता का काला चेहरा भी है। जो युवतियों को इस मोड़ पर छोड़ भाग खड़े होते हैं।