बक्सर खबर : आज कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी है । इस एकादशी व्रत को रम्भा व रमा नाम से जाना जाता है । इस एकादशी व्रत को करने से मनुष्यों के समस्त ब्रह्म हत्या आदि पाप नष्ट हो जाते हैं । आज श्रीलक्ष्मी जी के साथ भगवान् श्री नारायण की पुजा करनी चाहिए क्योकि लक्ष्मी जी का ही दूसरा नाम श्रमाश् है । अन्य एकादशियों की अपेक्षा इसका विशेष महत्व है । प्राचीन काल में राजा मुचुकुन्द की पुत्री चन्द्रभागा का विवाह दुसरे राज्य के राजा शोभन के साथ हुआ । वह जब अपने ससुराल गयी तो वहाँ के राजा एकादशी व्रत करवाने के लिये ढिढ़ोरा पिटवा रहा था । यह बात शोभन को अच्छी नहीं लगी थी । तब चन्द्रभागा ने समझाया कि आप चिन्ता न करें । मेरे यहाँ तो पालतू पशुओं से भी एकादशी व्रत करवाया जाता है । उन्हे एकादशी के दिन चारा नहीं दिया जाता है । इस बात को सुनकर शोभन ने भी प्रसन्नता पूर्वक व्रत स्वीकार कर लिया । विवाहित स्त्रियों के लिये भी यह व्रत सौभाग्य देने वाला और सुख प्रदान करने वाला कहा गया है । इस एकादशी के विषय में पद्म पुराण में काफी विस्तार से बताया गया है ।