बक्सर खबर : जितनी शक्ति प्रभु की भक्ति में है। उतनी ही शक्ति संत की संगति में है। संत की महता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। उनके चरण जहां पड़ते हैं। वहां चारो तरफ वैभव बरसने लगता है। जैसे विराने में बहार आ जाती है। शुक्रवार को यह सुखद नजारा आरा के चक्रापुरी चंदवा में देखने को मिला। पूज्य सन्यासी संत जीयर स्वामी जी महाराज का वहां आगमन हुआ। ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि से उनका चातुर्मास व्रत यहां प्रारंभ हो गया है। आगमन मात्र की सूचना पाते ही। बिहार और उत्तर प्रदेश के अनेक शहरों से समर्पित भक्त वहां एकत्र हो गए। भक्ति भाव से उनका स्वागत किया गया।
हाथी-घोड़े की लंबी कतार के बीच वाद्य यंत्रों की ध्वनी ने पूरे इलाके को इसका आभाष करा दिया। यहां किसी महापुरुष का आगमन हुआ है। आबादी से दूर बांध के नीचे खाली मैदान में सैकड़ों की तादात में जमा हुए भक्तों ने स्वामी जी के दर्शन किए। संध्या पूर्व चातुर्मास व्रत का अनुष्ठान स्वामी जी ने प्रारंभ कर दिया।
उपस्थित जन समूह को उपदेश देते हुए उन्होंने कहा। ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा से प्रारंभ होने वाला व्रत। अश्विन मास की पूर्णिमा तक चलता है। शास्त्रीय मान्यता है, अश्व मेघ यज्ञ का फल कम होता है। चातुर्मास का फल कभी कम नहीं होता। कालांतर में इसे प्रभु श्री राम ने भी किया था। अर्थात संत महात्मा के साथ गृहस्थ भी सद आचरण के साथ इस व्रत को कर सकते हैं। कथा के बीच श्रीमद भागवत के बारे में भी चर्चा की। यह बताया गया प्रति दिन अपराह्न चार बजे से यहां भागवत की कथा होगी। जिसका श्रवण सभी चर-चराचर प्राणी कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त दूसरी तरफ आयोजन समिति के सदस्य आपस में यज्ञ की सफलता के लिए चर्चा करते देखे गए।