सरकारी स्कूल बना खलिहान, पढाई बंद

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बक्सर खबर : जिले की शिक्षा व्यवस्था को चुस्त करने के लिए डीएम रमण कुमार लगातार अभियान चला रहे हैं। जांच करने वाले अधिकारी उनके फरमान पर एक दिन में सौ-सौ विद्यालय का निरीक्षण कर रहे हैं। बावजूद इसके, जिला मुख्यालय से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित पूरा विद्यालय ही अतिक्रमण की चपेट में है। नतीजा यह है कि पिछले तीन दिनों से विद्यालय में ग्रामीणों ने ताला जड़ दिया है। बावजूद इसके अधिकारी मौन साधे हुए हैं। यह हाले नजारा नया बाजार के पास स्थित बड़का नुआंव प्राथमिक विद्यालय का है। यहां बने सरकारी भवन में एक नहीं दो विद्यालय चलते हैं। लेकिन स्कूल के अध्यापक से लेकर अधिकारी तक मौन साधे हुए हैं। ग्रामीणों ने गुरुवार को मीडिया से शिकायत की। विद्यालय की जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा जमा लिया है। पूरा परिसर धान का खलिहान बना हुआ। इतना ही नहीं छत पर धान सूखाया जा रहा है। स्वच्छता का अभियान चलाने वाले जिले में मजाक बने विद्यालय में 11 जनवरी से पठन-पाठन भी बंद हो गया है। छह कमरों वाले विद्यालय में प्राथमिक विद्यालय बड़का नुआंव व प्राथमिक विद्यालय तुर्क चकियां का संचालन होता है। प्रधानाध्यापक शांती देवी व सुशील राय ने कहा कि हम यहां पढ़ाने आए हैं। ग्रामीण विवाद में नहीं पड़ाना चाहते। सचिव प्रमोद कुमार राय ने कहा कुल 93 डीसमील जमीन विद्यालय की है। यहां चारदीवारी नहीं होने के कारण कुछ लोगों ने झोपड़ी डाल कब्जा जमा लिया है। पूरे भवन में गंदगी फैलाए रहते हैं। इसी परिसर में इनका सोना बैठना भी होता है। इस व्यवस्था का विरोध कर रहे मुरली राय, कपिलदेव राय, सत्येन्द्र राय, टून-टून राय आदि ने कहा कि जब तक प्रशासन विद्यालय को अतिक्रमण मुक्त नहीं कराता। हमारा विरोध जारी रहेगा। इस व्यवस्था को देखकर हंसी भी आती है। डीएम ने स्वयं कुछ विद्यालयों के निरीक्षण में प्याज रखने तथा मवेशी रखने पर प्राथमिकी दर्ज करायी थी। इस सख्ती के दौर में इस व्यवस्था के खिलाफ अन्य अधिकारी किसी चुप्पी साधे हुए हैं।

1 COMMENT

  1. हेंडिंग तो सही लगा लो। खबर के कंटेट तो ऐसे भी ठीक नहीं होते। इस खबर में डीएम या प्रशासन के विरोध बातें तो लिख दिए, लेकिन यह नहीं लिख पाए कि आखिर कौन है वे लोग जिसने अतिक्रमण किया है। समाज अपनी जिम्मेदारियोंं से भागे तो प्रशासन या सरकार कुछ नहीं कर सकता।

    लंबी दूरी तय करने के लिए ईमानदार रहना जरूरी होता है। यह बात संपादक से लेकर रिपोटर तक को ध्यान में रखना होता है।

    • आपने खबर पर ध्यान दिया धन्यवाद, जिसने ऐसा किया है। उसका नाम प्रकाशित करना हमारा लक्ष्य नहीं। झोपडी लगा ऐसा किया जा रहा है। खबर में उसका उल्लेख किया गया है। लगे हाथ शीर्षक की चूक बता दें।

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