बक्सर खबर : नवरात्र में कलश स्थापित कर शक्ति की अराध्य देवी की पूजा की परंपरा है। बावजूद डुमरांव में एक ऐसा भी मंदिर है जिसमें कलश स्थापित नहीं होता है, न ही आम देवी मंदिरों की तरह पूजा। तंत्र साधना के लिए बिहार के इकलौते इस मंदिर में साधकों की हर मनोकामना पूरी होती हैे। डुमरांव के लाला टोली रोड स्थित महामाया, महाविद्या दक्षिणेश्वरी राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मां भगवती मंदिर इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। शारदीय नवरात्र में सुबह व शाम की पूजा व आरती के साथ ही देर रात तक साधक इस मंदिर में साधना में लीन रहते है। बताया जाता है कि मंदिर में साधकों की हर साधना पूरी होती है। मंदिर के साथ कई किंवदंतियां तथा मान्यताएं भी जुड़ी हुई है।
मंदिर में स्थापित है तीन महाविद्याएं
बक्सर खबर : राज राजेश्वरी त्रिपुर सुुुंदरी मंदिर के प्रति साधकों की आस्था यूं ही नहीं है। मंदिर में प्रधान देवी राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी के अलावे बंगलामुखी माता, तारा माता के अलावे पांच भैरव- दत्तात्रेय भैरव, बटुक भैरव, अन्नपूर्णा भैरव, काल भैरव व मातंगी भैरव की प्रतिमा स्थापित की गई है। मंदिर में काली, त्रिपुर भैरवी, धुमावती, तारा, छिन्न मस्ता, षोड़सी, मातंगड़ी, कमला, उग्र तारा, भुवनेश्वरी आदि दस महाविद्याएं भी है। जिस कारण तांत्रिकों की आस्था इस मंदिर के प्रति अटूट है। बताया जाता है कि तंत्र साधना के लिए राज राजेश्वरी का यह मंदिर सूबे बिहार का इकालौता है।
लगभग 400 वर्ष पहले हुआ था मंदिर की स्थापना
बक्सर खबर : प्रसिद्ध तांत्रिक भवानी मिश्र द्वारा लगभग 400 वर्ष पहले इस मंदिर की स्थापना की गई थी। तब से आज तक इस मंदिर में उन्हीं के परिवार के सदस्य पुजारी की भूमिका निभाते है। मंदिर के पुजारी किरण शंकर प्रकाश ने बताया कि पूर्णतः तांत्रिक इस मंदिर में कलश स्थापना का विधान नहीं है। बल्कि तंत्र साधना से ही यहा माता की प्राण प्रतिष्ठा की गई है। तांत्रिक कारणों से ही यहा कलश स्थापित नहीं होता है। भक्त यहा सप्तशती का पाठ कर मन्नते मांगते है। बताया जाता है कि इस मंदिर में सुखे मेवे का प्रसाद ही चढ़ाया जाता है।
यहा निस्तब्ध निशा में मूर्तियों से आती है आवाज
बक्सर खबरः लाला टोली रोड की सरपट भागती सड़क पर स्थित राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर की सबसे अनोखी मान्यता यह है कि निस्तब्ध निशा में यहा स्थापित मूर्तियों से बोलने की आवाज आती है। मध्य रात्रि में जब लोग यहा से गुजरते है तो उन्हें मूर्तियों की आवाज सुनाई पड़ती है। मंदिर के पूजारी किरण मिश्र ने इस बात की पुष्टि की है। नगर के कई लोगों ने भी रात में मंदिर से बुदबुदाने की आवाज सुनने की बात कही है। ऐसा लगता है मानों निस्तब्ध निशा में मूर्तियां आपस में बात करती है।