बक्सर खबर : राष्ट्रीय पर्व के मौके पर न्यायालय में हर वर्ष एक शख्स की पूछ बढ़ जाती है। जज कोई भी हो, उनके बीना राष्ट्रीय ध्वज को कोई हाथ लगाने का साहस नहीं करता। वजह यह है कि, न्यायालय वो जगह है। जहां ध्वज संहिता का सख्ती से पालन होता है। हम बात कर रहे हैं मो. रफीक की। जो यहां चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी हैं। पिछले 33 वर्ष से वे ही न्यायालय में फहराने वाले राष्ट्रीय ध्वज को बांधने का कार्य करते आ रहे हैं। मो. रफीक वैसे तो आरा जिले के बाबू बाजार के रहने वाले हैं। उनका हालिया मुकाम शहर का सोहनी पट्टी इलाका है। जब शहर के बीच पुरानी कचहरी चलती थी। वहां भी वे ही ध्वज बांधने का कार्य करते थे। यह क्रम अभी भी जारी है। इन वर्षो में एक बार ऐसा मौका आया, जब वे छुट्टी पर चले गए थे। कचहरी में लोग परेशान, ध्वज बांधने का कार्य कौन करेगा। उसके बाद से जब भी गणतंत्र व स्वतंत्रता दिवस का मौका आता है। उनकी पूछ जिला जज से पहले होती है। रफीक न्यायालय के अलावा अधिवक्ता संघ का ध्वज भी वहीं बांधते हैं। राष्ट्र के प्रति उनकी निष्ठा तब देखने लायक होती है। उन्हें मलाल भी है, अगले वर्ष शायद कचहरी में राष्ट्रीय ध्वज न बांध सकें। वे सेवानिवृत जो होने वाले हैं। वैसे युवा जो तिरंगा बांधना सीखना चाहें। उनके मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।