बक्सर खबर : आपने सूना होगा, पुलिस मुवक्किल देखकर मुकदमा दर्ज करती है। क्लाइंट मालदार होतो धाराएं भी संगीन लगती हैं। जिन्हें अनुंसधान के दौरान हटाने में पुलिस अपनी कलम की स्याही का हिसाब भी रखती है। एक दिन पहले महिला थाने में सुनिता देवी के बयान पर मुकदमा दर्ज हुआ है। तीन बच्चों के पिता होने के बाद भी उसके पति सुबाष यादव दूसरी शादी करने पर आमादा हैं। जिस लड़की से उनका प्रेम प्रपंच चल रहा था। उसे वे अपने घर भी ले आए हैं। जो अपने आप में बड़ा अपराध है। पर पुलिस की प्राथमिकी में सुनिता का बयान भ्रम फैलाने वाला है। दहेज की मांग करते थे, पहले इतने लाख , फिर उतने लाख न जाने क्या-क्या। अंत में पूरी बात -पति ने उसके रहते दूसरी लड़की को घर में लाकर रख लिया है। वह उससे शादी करने की बात कह रहे हैं। उसे जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। जब बात दूसरी शादी की है, तब ऐसे में पुलिस द्वारा इतना घुमावदार एफआइआर दर्ज करना। पुलिस की छवी को चमकाने वाला है। क्योंकि पुलिस ने तो मामला दर्ज कर लिया। जो पीडि़त ने आरोप लगाए। अब अनुसंधान होगा, गलत आरोप हटेंगे, जांच तो मुकम्मल होगी। इतना कुछ करने में पुलिस को परेशानी नहीं होगी। क्योंकि उसका तो यह काम है। यह सब किए बगैर सामने वाले सबक सीखने से रहे। उनकी अकल तो तब खुलेगी, जब वे फीस अदा कर कानून की शिक्षा लेंगे।
Mahila thana ke pas kam hoga kaise? 90% jhuthe mukadmo k liye police jimmedar hai. 498a ka is se bada misuse ho bhi nai Sakta.