बक्सर खबर : पूरे दिन शहर जाम से कराहता रहा। इसके लिए जिम्मेवार कौन है। पुलिस सड़क पर सुबह दस बजे से शाम छह बजे तक लाठी भांजती रही। हर जगह गाडिय़ां, सड़क का कोई कोना खाली नहीं था। समय गुजरता गया। गाडियां रेंगती रहीं, हालत ऐसी हो गई की दोपहर के बारह बज गए। स्कूल बसें भी इस जाम में आ फंसी, गर्मी से बच्चे परेशान। घर में मां परेशान, रोज बाहर बजे आ जाता था। आज दो बजने को जा रहे हैं। दुखी मां डीएम, एसपी व उन सभी को गालियां दे रहीं थी। जितनी उनकी समक्ष थी।
वहीं दूसरी तरफ मुंडन संस्कार के लिए दूर दराज से आए ट्रैक्टर शहर की सड़कों पर सांड की तरह धड़-धड़ की आवाज के साथ शोर पैदा कर रहे थे। कुछ लोगों ने किला मैदान का गेट बंद कर रखा था। आम तौर पर भीड़ वाले समय में लोग अपने वाहन किला मैदान में लगा देते हैं। कुछ किला के आस-पास के इलाके में खड़े करते हैं। इन सभी जगहों आज अवैध दुकानें हैं। जो गरीब की राजनीति करने वालों के कारण शहर के लिए जख्म बन गई हैं। पूरा बस स्टैंड का इलाका अब मार्केट बन गया है। सर्किट हाउस के आस-पास के इलाके को नगर परिषद वालों ने अपने लाभ के लए बेच दिया।
अब समस्या यह थी धार्मिक नगरी में आए वाहन कहां पार्क हों। शहर में कहीं पार्किंग की जगह तो बची नहीं। दूर-दराज से आए लोग, बारात से लौट रहीं गाडिय़ां सभी पूरे दिन इस जाम में बिलबिलाते रहे। उपर से तपती गर्मी में परेशान लोग अंतत: भगवान को भी कोसने लगे। आम जन का दर्द देख भगवान से ही रहा नहीं गया। उन्होंने एकाएक मौसम में बदलाव किया। हल्की बारिश की, हवा ठंडी चलने लगी। ट्रैक्टर की ट्राली पर खुले में बैठी महिलाओं ने भगवान को धन्यवाद दिया। इस जाम में अगर कोई एक व्यक्ति भीड़ से लड़ता दिखा तो वह थे नगर कोतवाल राघव दयाल व नगर थाने के कुछ युवा सिपाही। किला मैदान का गेट खुलवा कर किसी तरह पुलिस चौकी से लेकर आइटीआई मैदान तक लगे जाम को नियंत्रित किया। तब जाकर धीरे-धीरे अन्य सड़कों पर भी आवागमन बहाल हुआ। लेकिन, यह समस्या एक दिन की नहीं है। निदान जरुरी है, स्मार्ट सीटी के लिए नेता को दोश देने वाले छूट भैया, भी इसके लिए कम जिम्मेवार नहीं है।