बक्सर खबर : पर्यावरण का संरक्षण का संदेश बीतो दिनों पूज्य जीयर स्वामी जी महाराज ने अपनी कथा के दौरान दिया। उन्होंने धर्म से पर्यावरण को जोड़ते हुए कहा एक वृक्ष लगाना यज्ञ के समान फल देने वाला है। आप जहां है वहां वृक्ष जरुर लगाए। प्रकृति की रक्षा करना ही धर्म है। भारतीय धर्म पूरे विश्व के कल्याण की बात कहता है। आज बढ़ते तापमान से मानवता खतरे की ओर बढ़ रही है। इस लिए यह नितांत आवश्यक है। हमने यह निर्णय लिया है। इस वर्ष मनाए जा रहे रामानुज सहस्त्राब्दी महोत्सव के उपलक्ष में वैष्णव परिवार सवा लाख वृक्ष लगाएगा। इसका श्री गणेश कर दिया गया है।
यज्ञ स्थल तक आने वाले श्रद्धालुओं को पौधे भी प्रदान किए जाएंगे। जिनके पास वृक्ष लगाने के समूचित संसाधन हों। वे पर्यापत मात्रा में वृक्ष लगाए। इससे आपका तो भला होगा ही जन मानस का कल्याण भी होगा। स्वामी जी के संदेश का प्रतिफल भी दिखने लगा है। अनेक भक्त ऐसे हैं जिन्होंने चातुर्मास व्रत के दौरान ही सौ-सौ वृक्ष लगाने का संकल्प लिया है। भक्तों की इस निष्ठा से स्वामी जी बहुत ही प्रसन्न हैं। वैसे भी भारतीय संस्कृति मानव सभ्यता को दिशा देने वाली है। आज जीवन जीने के जो भी माध्यम लोगों को पता हैं। वह हमारे ऋषि मुनियों द्वारा ही बताए गए हैं।
भारत की संस्कृति ही ऐसी है। जहां तुलसी, नीम, पीपल, आंवला जैसे वृक्षों की पूजा होती है। विज्ञान यह मानता है यह वे पौधे व वृक्ष हैं जो मानव के लिए उपयोगी ही नहीं वरन सृष्टि के सबसे प्रभावशाली व विशेष फलदाई वृक्ष हैं। इसका ज्ञान हमें धर्म शास्त्रों के द्वारा पूर्व से ही ज्ञात है। उन महात्मा की श्रेणी में खड़े जीयर स्वामी जी ने भी पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए वृक्ष लगाना यज्ञ के समान, कह समाज को नया संदेश दिया है। रामानुज सहस्त्राब्दी पर सवा लाख वृक्षों का लगाया जाना। धर्म के इतिहास में पर्यावरण संरक्षण का सबसे बड़ा उदाहरण है।