बक्सर खबर : जिले की पहली महिला पत्रकार के बारे में शायद आप नहीं जानते हों। हम आपका परिचय उनसे करवाते हैं। पल्लवी चन्द्रा, जो आज घर – गृहस्थी में व्यस्त हैं। लेकिन, जिसकी रग में पत्रकारिता का जुनून हो वह भला कहां शांत रहता है। अब नई पारी की तैयारी में लगी हैं। बक्सर से पत्रकारिता में शुरुआत करने वाली चन्द्रा ने अपने जीवन का अनुभव बयां करते हुए कहा बिहार, हैदराबाद व दिल्ली की पत्रकारिता का अनुभव मुझे मिला है। मैंने यही पाया है कि नारी का जो सम्मान बिहार और अपने बक्सर में है। उतना देश के किसी अन्य कोने में नहीं। आज देश की राजधानी में जीवन व्यतीत कर रही पल्लवी दी से हमने पत्रकारिता के बारे में पूछा। कई पुरानी बातें जानने को मिली। प्रस्तुत हैं उसके कुछ अंश।
बरमेश्वर मुखिया के साक्षात्कार से मचा बवंडर
बक्सर : नब्बे के दशक में मावो संगठन का वर्चस्व बिहार में था। जिसका जवाब देने के लिए भोजपुर जिले में रणवीर सेना का गठन हुआ। एक ऐसा दौर प्रारंभ हुआ। जिसकी खबरें पढ़ प्रतीत होता था। पूरा बिहार जल रहा है। उस दौर में रणवीर सेना के प्रमुख बरमेश्वर मुखिया थे। पुलिस उनको सरगर्मी से तलाश रही थी। उनका कहीं पता नहीं था। पूरे देश की नजर उनपर थी। इसी बीच मुखिया का साक्षात्कार पल्लवी चन्द्रा ने प्रकाशित कर दिया। यह बात 1999 की है। मीडिया जगत में तो बवंडर खड़ा हो गया। वीरप्पन से कम चर्चित नहीं थे मुखिया। रणवीर सेना के ही कुछ लोग इसका तथ्य मांगने लगे। कहां है प्रमाण, तब पल्लवी प्रेस ट्रस्ट आफ इंडिया (पीटीआई) की संवाददाता थी। एजेंसी से खबर पूरे देश में जारी हो गई। कुछ लोग लामबंदी में जुट गए। लेकिन, उस वक्त पत्रकार राम एकबाल ठाकुर व विक्रांत दो ऐसे पत्रकार थे। जिन्होंने खुलकर साथ दिया। इसी तरह की एक घटना जार्ज(रक्षा मंत्री) के साथ हुई। यूपी चुनाव में प्रचार को जा रहे थे। राम मंदिर के सवाल पर भड़क गए। लेकिन बक्सर के पत्रकारों ने उस वक्त भी साथ दिया। अगले दिन खबर छपी ताबूत घोटाला विपक्ष का दिवालिया पन : जार्ज। जब विपक्ष ने खबर को पढ़ा तो दो दिनों तक लोकसभा नहीं चली।
कहती हैं पल्लवी : पत्रकारिता करने वालों को कभी शौक अथवा ग्लैमर की वजह से इस क्षेत्र को नहीं चुनना चाहिए। अगर आपको इसे पूर्ण रुपेण अपनाना हो तब इस तरफ रुख करें। इसके जरुरी है, अपने अध्ययन को पूरा करें। इसके बगैर आप अधिक दिनों से इस क्षेत्र में जमे नहीं रह सकते। ऐसा नहीं करने पर आर्थिक बाधा जीवन की रफ्तार को रोक देती है। इसलिए जरुरी है कि आप अपने आर्थिक मोर्चे पर तैयार रखें।
पत्रकारिता का सफर
बक्सर खबर : पत्रकारिता का सफर 1998 में पीटीआई से प्रारंभ हुआ। इस बीच प्रसार भारती के लिए काम करने का मौका मिला। रेडियो पर जिले की चिट्ठी तब वे सुनाती थीं। इसके बाद ईटीवी बिहार की शुरुआत हुई। बक्सर से उसकी पहली पत्रकार बनी। कंपनी ने उनको हैदराबाद बुला लिया। इसी बीच शादी हो गई। दिल्ली से सटे नोएडा में जीवन गुजरने लगा। वहां देश बंधु में फीचर संपादक व उसके कुछ दिन बाद संडे इंडियन में उप संपादक के तौर पर कार्य किया। फिलहाल नई पारी की तैयारी में हैं।
व्यक्तिगत जीवन में स्वयं सेवक होने पर है गर्व
बक्सर : 1975 में शारदीय नवरात्र में अष्टमी को इनका जन्म ताराचन्द्र श्रीवास्तव के घर में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा शिशु मंदिर से हुई। गल्र्स हाई स्कूल से मैट्रिक, एमवी कालेज से स्नातक, कर्पूरी ला कालेज से एलएलबी व आरा से एमए किया। इस बीच नालंदा मुक्त विश्व विद्यालय से पत्रकारिता। खुद के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा मुझे एक बात का हमेशा गर्व महसूस होता है। मैं स्वयं सेवक हूं। मेरी पिता राष्ट्रीय स्वयं संघ से जुड़े थे। मेरा भी जुड़ाव संघ से हुआ। आज भी मैं संघ के लिए कार्य करती हूं। यह मेरे जीवन परम सौभाग्य है।