बक्सर खबर : जिले के वरीष्ठ पत्रकारों में शामिल है शेषनाथ पांडेय। ब्रह्मपुर धाम में रहने वाले श्री पांडेय का जीवन संघर्ष से भरा रहा है। जिवट व्यक्तित्व वाले पांडेय ने कभी मुश्किलों से हार नहीं मानी। हर चुनौती का हमेशा सामना किया है। अपने साप्ताहिक कालम इनसे मिलिए के लिए बक्सर खबर ने उनसे बात की। जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा पत्रकारिता से तत्काल लाभ नहीं मिलता। इससे आत्म बल एवं परिवार तथा पीढ़ी को मजबूती मिलती है। आप इस पेशे में आए हैं तो मान-अपमान भूल जाना होगा। पत्रकारिता में उनका अनुभव बहुत पुराना है। प्रस्तुत है पत्रकारिता में उनकी जीवन गाथा।
पत्रकारिता जीवन
बक्सर : शेषनाथ पांडेय ने वर्ष 1998 में प्रभात खबर से पत्रकारिता शुरु की थी। इस अखबार में वे चार वर्ष तक रहे। वर्ष 2002 में उन्होंने पंजाब केशरी अखबरा के जिला संवाददाता के रुप में योगदान किया। लगभग चार वर्ष तक इस अखबार के लिए खून-पसीना बहाते रहे। वर्ष 2006 में इनका जुड़ाव दैनिक जागरण से हुआ। परिवार की जरुरतों को देखते हुए ब्रह्मपुर से बतौर संवाददाता काम करना प्रारंभ किया। इस बीच वे राष्ट्रीय स्तर की मासिक पत्रिका प्रथम प्रवक्ता के लिए लिखते रहे। जागरण से इनका साथ टूट गया। तब इनका जुड़ाव भारत टूडे एसएमएस ब्यूरो के साथ जुड़ गए। इस बीच उस कंपनी से भी साथ छूट गया। फिलहाल वर्ष 2016 से प्रभात खबर के लिए प्रभात खबर के लिए ब्रह्मपुर से काम कर रहे हैं। अपने अनुभव की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया पंजाब केशरी में मैंने एक खबर लिखी। वर्ष 2004 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी बक्सर आए थे। उन्होंने गंगा कटाव के लिए वादा किया था। सरकार बनने के दो वर्ष बाद 2006 में मेरी खबर प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित हुई। जिस पर लोकसभा में चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने खबर पर संज्ञान लिया था। इसी तरह जागरण में लिखते वक्त दियरा इलाके की खबर पर भी मेरी स्टोरी छपी थी। जिसमें नई नवेली दुल्हन डोली समेत नाव पर जा रही थी। वह खबर भी काफी चर्चा में रही।
व्यक्तिगत जीवन
बक्सर : शेषनाथ पांडेय का जन्म 10 जून 1966 को ब्रह्मपुर निवासी दिनानाथ पांडेय जी के घर हुआ। चार बहनों के साथ वे उस घर के इकलौते पुत्र थे। परिवार में उनका लालन-पालन बड़े ही जतन से हुआ। ब्रह्मपुर हाई स्कूल से मैट्रिक पास करने के बाद उन्होंने वर्ष 1988 में जैन कालेज आरा से स्नातक की डिग्री ली। पढ़ाई के दौरान ही उनकी शादी 1985 में शादी हो गई। आज श्री पांडेय दो बच्चियों और दो बच्चों के पिता हैं।