बक्सर खबर : शहाबाद में ऐसा पहली बार हुआ है। जब पुलिस ने छापामारी के दौरान एके 47 जैसा घातक हथियार बरामद किया हो। यह सफलता शुक्रवार की रात आरा पुलिस के हाथ लगी। उदवंतनगर थाना के बेलाउर गांव में शुक्रवार की देर रात छापेमारी के दौरान पुलिस ने कुख्यात बुटन चौधरी व उसके चार अन्य शार्गिदों को गिरफ्तार कर लिया। इनके पास से एके-47 के अलावा एक 315 बोर का रायफल, तीन देशी पिस्तौल के अलावा 65 कारतूस बरामद किए गए। एक बोलेरो गाडी भी मौके से जब्त हुई है। शनिवार को एसपी नवीन चन्द्र झा ने प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी। उन्होंने बक्सर खबर को फोन पर बताया कि 47 बरामद होने की यह जिले में पहली घटना है। जबकि सूत्रों की माने तो पुरे शाहाबाद में पहली बार पुलिस ने प्रतिबंधित असलहा बरामद किया है। गिरफ्तार आरोपियों में पुराने हिस्ट्रीशीटर बुटन चौधरी के अलावा उपेन्द्र चौधरी, ज्ञानी राम, सुधीर पांडेय व करीमन चौधरी शामिल है। सभी बेलाउर गांव के निवासी है। एसपी के अनुसार पकड़े गये बुटन चौधरी का लंबा अपराधिक इतिहास रहा है। उसके विरूद्ध भोजपुर, पटना, रोहतास व वैशाली आदि जिलों में करीब 15 आपराधिक मामले दर्ज है। जिसमें अकेले आठ केस उदवंतनगर थाने में दर्ज है। ये सभी आपराधिक मामले हत्या, लूट, गोलीबारी, आर्म्स एक्ट से लेकर भ्रष्टाचार अधिनियम से जुड़े है। वर्तमान में वह आर्म्स एक्ट के मामले में फरार चला आ रहा था। एसपी ने बताया कि शुक्रवार की देर रात बेलाउर गांव में एक बारात आई थी। जिसमें सारे अपराधी अवैध हथियारों का प्रर्दशन कर रहे थे। गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने पहले बुटन को एके-47 के साथ दबोचा। फिर एक-एक कर उसके साथी भी पकड़े गये। बरामद गोलियों में एके -47 का 29, 315 बोर रायफल का 26 व 12 बोर का पांच कारतूस है। पूछताछ में यह बात सामने आयी है कि 47 उसने पांच लाख रुपये में खरीदी थी। इस पर अंकित नंबर के आधार पर पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि यह आर्म्स कहां का है।
95 से ही अपराध की दुनिया में रहा सक्रिय
बुटन चौधरी उर्फ हरेन्द्र चौधरी ने अपराध की दुनिया में वर्ष 1995 से ही कदम रखा था। इसके बाद उसके विरूद्ध लगातार अपराधिक मामले दर्ज होते रहे। अपराध की दुनिया में इंट्री के साथ ही उस पर सबसे गंभीर केस अपहरण व हत्या का लगातार दो केस दर्ज हुआ था। इसके बाद साल-दर-साल उसके विरूद्ध आपराधिक रिकार्ड लंबे होते चले गये।यह राजनीतिक दिलचस्पी भी रखता है। इसने अपने नौकर की पत्नी चंपा को अपनी पंचायत से मुखिया बनवाया था । जब उसकी हत्या हो गयी तो उप चुनाव में नौकर की मां को मैदान में उतारा। उसने भी जीत दर्ज की।