बक्सर खबर : भ्रष्टाचार उस हद तक हावी हो गया है। कोई अधिकारी स्वयं ही सही को गलत करार देता है। कोई सच को भी झूठ साबित कर देता है। ताजा प्रकरण सीओ सिमरी के कार्यालय का है। वहां के अंचल अधिकारी दिलीप कुमार ऐसे मामले में घिर गए हैं। न उनको जवाब सूझ रहा है न मीडिया का सामन कर रहे हैं। क्योंकि उनके द्वारा किया गया दाखिल खारिज का एक मामला उनके गले की हड्डी बन गया है। मजे की बात यह है कि जिस तिथि में उनके यहां वाद दायर हुआ है। उसी तिथि में उन्होंने सुनवाई के लिए अगली तारीख तय की है। फिर उसी आवेदन पर उसी तिथि में अस्वीकृत करार कर दिया। जिसके कारण उनके खिलाफ ऐसे कागजी सबुत एकत्र हो गए हैं। उनका बचना मुश्किल प्रतीत हो रहा है।
आवेदन करता सुनीता देवी पति रामविलास राय ने उनके खिलाफ डीसीएलआर व लोक शिकायत कोषांग में वाद दायर किया है। लेकिन दोनों जगहों पर सीओ उपस्थित नहीं हो रहे। आवेदक के पक्ष के लोगों ने कहा पहले तो सीओ ने जांच रिपोर्ट के आधार पर आवेदन स्वीकृत कर दिया। दो फरवरी को शुद्धि पत्र निकला। रजिस्टर टू में नाम भी चढ़ गया। बाद में सीओ ने उसे बैक डेट में अस्वीकृत कर दिया। लेकिन आवेदन में उनके द्वारा किया गया रि राइट का मामला उलझ गया है। दस्तावेज के साथ हुई छेड़छाड़ के वे स्वयं दोषी बनते जा रहे हैं। क्योंकि किसी भी समक्ष पदाधिकारी के यहां उपस्थित हो उन्होंने अपना पक्ष नहीं रखा है। इस बीच आवेदक पक्ष ने जिलाधिकारी को आवेदन दे संबंधित सीओ पर प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी है। इससे पूरे महकमे में बेचैनी है। क्योंकि डीसीएलआर के यहां बार-बार डेट पडऩे के बाद भी सीओ के आदेश के विरुद्ध आदेश पारित नहीं हुआ न ही उनके विरुद्ध उचित कार्रवाई की अनुशंसा ही हुई। आवेदक पिछले एक साल से सकरकारी कार्यालयों का चक्कर लगा रहा है। लेकिन न्याय तो दूर संतोष जनक जवाब भी नहीं मिल रहा। इसे कहते हैं ……. मौसेर भाई। फिलहाल आवेदन डीएम के कार्यालय भी पहुंच गया है। जिसमें लिखा है सिमर सीओ के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति जिलाधिकारी प्रदान करें। उनका कारनामा यह है। वहां से अनुमति मिलते ही उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज होगा। इस पूरे प्रकरण में सिमरी सीओ का पक्ष जानने के लिए कई मर्तबा प्रयास किया गया। लेकिन उन्होंने अपना फोन नहीं उठाया।