बक्सर खबर : श्री शुकदेवजी महाराज ने राजा परीक्षित को मानव कल्याण के लिए सबसे सहज और सरल उपाय परमात्मा के श्रीचरणों में चिन्तन बताया। जिस अवस्था में जिस व्यवस्था में रहे प्रभु का स्मरण, चिन्तन एवं ध्यान निरन्तर करते रहना चाहिये। जीयर स्वामी जी महाराज ने रविवार को कथा प्रवचन के दौरान यह बातें रविवार को कहीं। शास्त्र में बताया गया है कि दान, तप और ध्यान आत्मा के उद्धार व कल्याण का प्रमुख साधन है। मनुष्य को अपनी मृत्यु को याद करते हुये बचपन, जवानी एवं बुढ़ापा में भगवान का चिन्तन मनन और उनके गुणों का श्रवण हर पल हर क्षण करते रहना चाहिए।
शास्त्र में कहा गया है साधक को संकट आने पर, मृत्यु निकट आने पर या अन्त समय आने पर घबराना नहीं चाहिए। भगवान प्रभु ‘नारायण’ के नाम या (ऊँ) जप करते हुये शेष जीवन को बिताए एवं स्मरण करें। भगवान के स्वरुप का स्मरण करे। वेद शास्त्र में बताया गया है कि भगवान के श्रेष्ठ स्वरूप में ( चतुर्भुज ) स्वरूप एक है। स्वामी जी ने इस गूढ़ रहस्य को बताया कि चतुर्भुज का मतलब चार भुजा वाला स्वरूप जिसमें (शंख, चक्र, गदा, पद्म ) ऐसे स्वरूप वाले प्रभु को अपने दिल दिमाग में बैठाकर जप, तप, ध्यान एवं पूजन करना चाहिये। यही मावन जीवन के कल्याणका सबसे सरल और सुगम साधन बताया गया है।