मिलिए इस पत्रकार से जिसने हिला दी थी सीएम की कुर्सी : संत राय

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बक्सर खबर : आपने एक फिल्म देखी होगी। जिसका नाम नायक था। उसमें पत्रकार का किरदार निभा रहे अभिनेता ने महाराष्ट्र के सीएम को कुर्सी से हटा दिया था। वह फिल्म थी, लेकिन यहां हकीकत में ऐसा हुआ है। एक पत्रकार ने महाराष्ट्र के सीएम को पद से त्यागपत्र देने को मजबूर कर दिया था। आपको जानकर खुशी होगी। वह पत्रकार कहीं और के नहीं  बक्सर की माटी के लाल है। जिन्हें मीडिया से जुड़े लोग संत राय के नाम से जानते हैं। प्रकरण था मुंबई में पूर्व सैनिकों के लिए बने आवास का। आदर्श सोसाइटी के नाम से बनी कालोनी के आवंटन में बहुत बड़ी धांधली हुई थी। जिसे जी न्यूज के पत्रकार संत राय ने देश के सामने रखा था। कलई खुली तो यह पूरे देश के लिए मुद्दा बन गया। मुख्यमंत्री अशोक चौहाण को पद छोडऩा पड़ा। बक्सर खबर के साप्ताहिक कालम इनसे मिलिए के लिए हमने संत राय से बात की। उनके अनुभव साझा करने के दौरान हमने एक प्रश्न किया। पत्रकारिता करते वक्त आपने ऐसा क्या किया, जो आपको यह सुकून देता हो। आपने देश और जनता के लिए कुछ ऐसा किया जिसके लिए कलम आपको याद करे। उन्होंने कई उदाहरण गिना दिए। जिनमें एक आदर्श सोसाइटी घोटाला और दूसरा रहा देश के सबसे बड़े घोटालों में से एक कोयला घोटाला। जिसकी आंच ने सबसे पहले कांग्रेस के सांसद जिंदल को गिरफ्त में लिया। आज पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक उसकी जद में हैं। अर्थात पत्रकार अगर जीवटता का परिचय दे तो वह मुख्यमंत्री ही नहीं प्रधानमंत्री की कुर्सी को हिला सकता है। आवश्यकता है, सच्चाई को जनता के सामने लाने की। आइए ऐसे पत्रकार से हम आपका परिचय कराते हैं।

आम आदमी और सिस्टम के बीच सेतु है मीडिया : संत
बक्सर : पत्रकारिता क्या है और पत्रकार को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? जब हमने यह जानना चाहा तो संत राय ने कहा। पत्रकारिता आम आदमी और सिस्टम तथा सरकार के बीच का सेतु है। जनता की समस्या को प्रशासन के सामने रखना। उसके हक और अधिकार के प्रति जागरुक करना। सरकार की गलत नीतियों को जनता के सामने रखना। यह पत्रकारिता का धर्म और कार्य दोनों है। अगर आप किसी फर्म में काम करते हैं। अथवा खबर या रिपोर्ट लिखते या बनाते हैं। तो इसका ध्यान रहे आप ऐसा क्या दे रहे हैं। जिसका सरोकार आम आदमी से है। पाठक आपको क्यों पढ़े और देखे। सदा इसका ध्यान रखना जरुरी है। साथ ही जो चैलेंज को स्वीकार करता है। वही पत्रकारिता में दूरी तय करता है। सफलता उसी का साथ देती है। पत्रकारिता अगर आप मजबूरी में कर रहे होते हैं तो यह पेशा वैसे लोगों रोजगार का साधन हो सकती है। मंजिल को पाने और समाज को कुछ देने माध्यम नहीं बन सकती। यह सच है आज के दौर में बिजनेस पत्रकारिता को प्रभावित कर रहा है। लेकिन ईमानदारी से काम करने वाले की आज भी हर जगह उतनी ही कद्र है। जितनी पहले थी। मैं नए लोगों से यही कहुंगा। पत्रकारिता को ग्लैमर व कमाई के लिए नहीं चुने। क्योंकि यहां हर रोज चुनौती है। कुछ नया करने का मौका है। प्रारंभ के दौर में अभाव रहता है। लेकिन योग्यता उस परिस्थिति को बदलकर रख देती है।
पत्रकारिता जीवन
बक्सर : संत राय उन दिनों इलाहाबाद विश्व विद्यालय से स्नातक की डिग्री ले रहे थे। उनका जुड़ाव आकाशवाणी अर्थात रेडियो से हो गया। 1993 के उस दौर में इलाहाबाद तथा पटना से युव-वाणी कार्यक्रम प्रसारित होता था। उसके लिए काम करने लगे। इस बीच स्नातक की पढ़ाई पुरी हुई। फिर पुन: बक्सर आए। पटना में रहकर रेडियो से जुड़े रहे तथा माखनलाल चतुर्वेदी कालेज भोपाल से संबंध पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। इसी क्रम में दुरदर्शन से जुड़ाव हुआ। 1997 में स्वतंत्रता पर बने महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में उन्हें रांची से काम करने को मिला। जिसने उन्हें टीवी की तरफ आकर्षित किया। 2001 में ई टीवी ने बिहार-झारखंड की शुरुआत की। उन्हें ईटीवी ने अपने यहां काम करने के लिए चयनित किया। तब पहली नियुक्ति हैदराबाद में हुई। 2003 में सहारा समय के लिए काम करना शुरु किया। 2004 में जी न्यूज चले गए। वहां लंबे समय तक काम किया। 2013 में न्यूज 24 के लि काम करना प्रारंभ किया। 2015 मे फिर ठिकाना बदला। अब इंडिया टीवी में अपनी सेवा दे रहे हैं। देश की राजधानी में रहते हुए वे सीनियर एक्सक्यूटीव एडीटर का दायित्व निभा रहे हैं। वे बताते हैं जब पत्रकारिता प्रारंभ हुई। उस समय लगभग डेढ़ वर्ष तक मैने न्यूज एंकर के रुप में कार्य किया। वह अनुभव टीवी के सबसे यादगार पलों में से एक है।
व्यक्तिगत जीवन
बक्सर : संत प्रसाद राय का जन्म 10.12.1972 को बक्सर के नागपुर गांव में हुआ था। जो चौसा प्रखंड के अंतर्गत आता है। तीन भाइयों में वे सबसे बड़े हैं। शिक्षा ग्रहण करने के लिए वे बक्सर आ गए। उनके पिता डीएस राय दूरसंचार विभाग के अधिकारी थे। इस लिए उनकी परवरिश अच्छे ढंग से हुई। एमपी हाई स्कूल से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद आगे पढऩे इलाहाबाद चले गए। वहां 1996 में स्नातक पास किया। इसके तुरंत बाद ही उन्होंने पत्रकारिता की डिग्री ली। आज इनका अपना मकान चरित्रवन में है। बक्सर के लोग इन्हें कम पिता डीएस राय को अधिक जानते हैं। लेकिन संत राय स्वभाव से संत होने के बाद भी मीडिया में आने वाले युवाओं के लिए आदर्श और सीख दोनों हैं।

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  1. एम• पी• उच्च विद्यालय से नहीं , भुमिहारी उच्च विद्यालय से पढ़ें हैं

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