बक्सर खबर : रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर में शुक्रवार से लक्ष्मी-नारायण महायज्ञ प्रारंभ हो गया है। वैदिक परंपरा के अनुसार सुबह जलभरी का कार्यक्रम संपन्न हुआ। यज्ञ के यजमान तथा नगर के श्रद्धालु नर-नारी इसमें शामिल हुए। रामरेखा घाट से निकली जलयात्रा पीपी रोड, अस्पताल रोड़, मेन रोड होते पुन: रामरेखा घाट पहुंचकर समाप्त हुई। इसके उपरांत दोपहर तीन बजे विद्वत सम्मेलन एवं चार बजे से पुराण की कथा प्रारंभ हुई। आचार्य कृष्णानंद शास्त्री जी द्वारा कराए जा रहे यज्ञ में इस वर्ष कूर्म महापुराण की कथा प्रारंभ की।
उन्होंने कहा अन्य सत्रह पुराणों में यह सर्वश्रेष्ठ है। इसमें भगवान विष्णु के उस अवतार का वर्णन है। जब उन्होंने सृष्टि में धर्म की स्थापना के लिए सागर मंथन करवाया। स्वयं कूर्म अर्थात कछुए का रुप धारण कर अपने उपर मद्राचल पर्वत का भार उठाया। इस मंथन से प्राप्त अमृत का पान देवताओं को कराया। जिसके प्रभाव से देवता अमरत्व को प्राप्त करने के साथ राक्षसों के युद्ध में विजयी हुए। चारो तरफ धर्म की स्थापना हुई। इसी लिए इसे अमृत पुराण भी कहा जाता है। इसके श्रवण मात्र से जीवन में अमृत सदृश आनंद की प्राप्ति होती है। आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया सर्वजन कल्याण सेवा समिति द्वारा यज्ञ आयोजित है। जिसने यह निर्णय लिया है। प्रत्येक वर्ष एक पुराण की कथा होगी। जिसका सिलसिला जारी है। जेष्ठ मास की पूर्णिमा के दिन इसका शुभारंभ होता है।