बक्सर खबर : राष्ट्रीयता सबसे बड़ी है। चंद लोगों की गलत बयान बाजी और जाति को लेकर फैल रही अफवाहों के मुंह पर जोरदार तमाचा है। डुमरांव का यह कारीगर जिसका नाम शमीम मंसुरी है। पिछले वर्षों से राष्ट्रीय ध्वज बनाने का कार्य कर रहे हैं। पहले तो अकेले बनाते थे। अब इनके बच्चे भी बड़े हो गए हैं। वे भी इस कार्य में उनका हाथ बंटाते हैं। अर्थात अब उनका पूरा परिवार इस धंधे में शामिल है। तिरंगा बनाते इनके हाथ थकते नहीं। वे सैकड़ा के भाव से इसका निर्माण करते हैं और थोक में बेच देते हैं। इनके प्रमुख खरीददार हैं डुमरांव के अमर खादी भंडार। जो इनके यहां बने सभी झंडे एक साथ खरीद लेते हैं।
डुमरांव शहर में पुराना थाना के पास ईश्वर चन्द्र की गली में इनका अपना बसेरा है। पूछने पर बड़े गर्व से बताते हैं। जी पूरे जिले में मेरे द्वारा बनाए गए झंडे ही बिकते हैं। एक दो दिन नहीं पूरे वर्ष से हम लोग इस कार्य को करते आ रहे हैं। कोई अन्य ग्राहक आ गया तो उसके कपड़े भी बना देते हैं। लेकिन यही हमारा मुख्य पेशा है। छह रुपये से लेकर सौ रुपये तक के झंडे मैं बनाता हूं। जिनका साइज अलग-अलग होता है। यह बातें तो मंसूरी की है। जिसमें कहीं भी उनको गैर राष्ट्र व जाति की भावना का ध्यान भी नहीं। उनकी यह लगन समाज के उन दोनों वर्गो के लिए सीख है। जो ऐसे लोगों पर शक करते हैं। साथ ही उनके लिए जो जाति के नाम पर देश के लिए गलत सोचते हैं।