बक्सर खबरः शहीद पूर्व सरपंच संतोष ओझा की दसवीं पुण्यतिथि उनके पैतृक गांव में मनाई गयी। कार्यक्रम उनके पैतृक गांव सिमरी प्रखंड के खरहाटांड में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुखिया विजय कुमार उर्फ मुन्ना ओझा ने की। कार्यक्रम की शुरूआत ग्रामीणों ने पूर्व सरपंच संतोष ओझा के तैल्यचित्र पर पुष्प अर्पित कर उनके आत्मा कर शांति के लिए प्रार्थना कर की। मुखिया मुन्ना ओझा ने अपने संबोधन में संतोष ओझा अपने काम के प्रति निष्ठावान थे। जिसका कारण रहा की अपने ही पंचायत में दो पक्षों के बीच विवाद सुलझााने में शहीद हो गए। संतोष की हत्या से सिर्फ खरहाटांड के लिए क्षति नहीं थी। वही पूरे राज्य के जनप्रतिनिधी की हत्या थी।
पूर्व सरपंच की हत्या के बाद समाज में विष पैदा करने वाले लोगों ने काफी पांव पसारा। कई तरह की बातें होती है कि आज संतोष ओझा होते तो ये न होता वो न होता। लेकिन संतोष ओझा की हत्या हम सब को सीख दे गई। सिपाही ही अपने कार्य के प्रति निष्ठावान नहीं होते एक जनप्रतिनिधी भी अपने कार्य के प्रति उनता ही सजग रह सकता है। चाहे उसकी जान क्यों न चली जाय। इसलिए आज भी संतोष ओझा हमारे पंचायत के शहीद सरपंच मानें जाते है।
ज्ञात हो आज से दस साल पहले यानी 19 अगस्त 2017 दिन रविवार को खरहाटांड के वर्तमान संतोष ओझा को दो पक्षों के पंचायत में बुलाकर गोलियों से छलनी कर हत्या कर दी गई थी। इस मौके पर मंटू ओझा, बद्री ओझा, अमरेन्द्र ओझा, शोभनाथ ओझा, सियाराम यादव, निगमानंद ओझा, विक्कु दूबे, अशोक कुवंर, संतविहारी ओझा, दयाशंकर ओझा, सुरेन्द्र ओझा, अंशु ओझा उर्फ विधायक, संतन कुमार ओझा, छोटक ओझा, धर्मदेव ओझा, मोहन लाल, कृष्णा कुमार ओझा, हलचल ओझा समेत सैकड़ो पंचायतवासी मौजूद थे।