बक्सर :(आरा) आरा के चंदवा (एक चक्रापूरी) जिसे लोग गांव कहते हैं। एक ऐसे नगर में तब्दील हो गया है। जिसे हम और आप अध्यात्म नगर कह सकते हैं। दिव्य लोक सा दिखने वाला नजारा किसी शहर से बढ़ कर है। वह भी ऐसा नगर जहां देश के महान संत से लेकर हजारों की संख्या में विद्वान ब्राह्मण और लाखों की संख्या में वैष्णव भक्त एक साथ विराजमान हैं। यह तो वह संख्या है जिसे हम और आप एक जगह देखकर अनुमान लगा रहे हैं। लेकिन आने-जाने वालों की कुल संख्या का पूरा और सही आकलन लगाना मुमकिन नहीं है। यह असंभव सा दिखने वाला दिव्य नजारा एक संत के संकल्प से साकार हुआ है। जिनका नाम लक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी है।
देश और समाज को इस दिव्य आभा का दर्शन कराने वाले संत की संकल्प शक्ति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है। यज्ञ के प्रारंभ तिथि को इतने लोग आरा शहर पहुंचे। जिसे देखकर समूचे शहर और आम जनमानस को यह ज्ञात हुआ। सच्चाई और धर्म की शक्ति का अनुमान लगाना मुश्किल है। धर्म शास्त्र में ऐसा उल्लेख अनेक जगहों पर मिलता है। अगर आपका मन, कर्म और संकल्प सच्चा हो तो वह सबकुछ संभव है।
जो लाखों लोग और शासन सत्ता मिलकर भी साकार नहीं कर सकते। भगवान अपनी शक्ति से उस स्वरुप और कार्य को संपन्न कराते हैं। जिसकी निष्ठा सच्ची होती है। आरा का यह लक्ष्मीनारायण महायज्ञ एवं रामाजनुज महाराज का सहस्त्राब्दी पूर्ति महोत्सव इसकी अप्रतिम उदाहरण है। दस किलोमीटर क्षेत्र में फैला यज्ञ क्षेत्र अध्यात्म की भाषा में किसी महाकुंभ से कम नहीं है।