बक्सर खबर (चन्दवा, आरा…12 / 07 / 2017) : प्रातः स्मरणीय परम श्रद्धेय श्री लक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने चातुर्मास्य व्रत के दौरान चन्दवा, आरा में मंगलवार को ‘कथा -प्रवचन’ के माध्यम से कहा कि भगवान् श्रीहरि (नारायण)*कहते हैं- अपने भक्तों का उद्धार, कृतार्थ एवं कल्याण स्वयं करता हूँ। भगवान अपने भक्तों के विषम स्थितियों एवं परिस्थितियों का ख्याल नहीं करते हुये स्वयं उनका उद्धार करते हैं। स्वामी जी महाराज ने कहा कि सन्त, शास्त्र एवं ईश्वर का जब-जब परीक्षा लिया जाता है, तब-तब राष्ट्र और समाज का अहित ही होता है। व्यक्ति की पहचान उनके नाम से होती है इस लिए नाम होना चाहिए। लेकिन नाम के साथ साथ रूप भी होना चाहिए। घर,परिवार के लोगों को चाहिए कि अपने छोटे – छोटे बच्चों को प्यार, दुलार के साथ ही साथ अच्छे संस्कार भी दिया जाना जरूरी है।
शास्त्र में बताया गया है कि वही बचपन में दिया गया संस्कार व्यक्ति के जीवन- प्रयंत साथ रहेगा। सन्तों के साथ संगति, सद्पुरुषों के साथ संगति व महापुरुषों के साथ संगति का असर जीवन पर पड़ता है। इसी लिए बताया गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी मर्यादा में रहते हुये जीवन-यापन करना चाहिए। किसी के साथ अमर्यादित बात, अमर्यादित व्यवहार नहीं करना चाहिए। हमेशा मर्यादा सहित जीवन जीना चाहिए।