बक्सर खबर : पूर्व जिला पार्षद व बसपा नेता प्रदीप चौधरी उर्फ मिलु की हत्या रामबिहारी चौधरी ने नहीं की। दस साल से फरार रामबिहारी पहली बार गिरफ्तार हुआ है। उसने पुलिस को मिलु के जीवन से जुडे कई राज बताएं हैं, जो चौकाने वाले हैं। वह कभी मिलु चौधरी के राइट हैंड हुआ करता था। आज उसकी की हत्या का आरोपी बनाया गया है। पुलिस रिकार्ड में वर्ष 2005 में सिपाही यादव की हत्या हुई थी। 2007 में लालबहादुर यादव की हत्या हुई। अप्रैल 2016 में मिलु की। इन तीनों में यह नामजद है। रामबिहारी की बातों पर यकिन करें तो मिलु ने पहले लाल झंडे का साथ दिया। इसके बाद गांव में कई हत्याएं हुई। जिसके कारण यादव और चौधरी गुट अलग हो गया। मिलु अपने आप को चौधरी का नेता साबित करने में जुट गए। कुछ लोग इसका विरोध भी करने लगे। जिसके कारण शिवजी चौधरी की हत्या हो गयी। इस हत्या ने गांव में मिलु के प्रभाव को चुनौती दी। चचेरे भाई फादर चौधरी से उनकी ठन गयी। फसल कटाई के दौरान उसके खेत तक हार्वेस्टर नहीं जाने दे रहे थे। बात बढी तो फादर को मिलु और उनके लोगों ने सबके सामने पीटा। यहीं से अदावत जानलेवा दुश्मनी में बदल गयी। मिलु ने भी लाल झंडे का साथ छोड दिया। फादर को गांव के यादवों का भी सहयोग मिलने लगा। जिसके कारण मिलु को बरुआं में ही चुनौती मिलने लगी। जो विरोध करता उसकी हत्या होने लगी। इस क्रम में रामबिहारी ने साथ छोड दिया। यह खुनी खेल ऐसे जगह पहुंच गया कि मिलु स्वयं गोली के शिकार हो गए। हालाकि फादर चौधरी का नाम हत्यारोपियों में शामिल नहीं है। इन दो गुटों ने बगेन थाने की पुलिस के लिए समस्या पैदा कर दी।