बक्सर खबर। काशिमपुर-इंदौर भाया उनवांस, इटाढ़ी, साथ, गुरुआबाद भाया यज्ञ स्थल। यह परिक्रमा मार्ग रहा लक्ष्मीनारायण महायज्ञ की जलभरी का। लगातार पांच घंटे चलने के बाद पैदल कलश यात्री पुन: यज्ञ स्थल पहुंचे। वे दो नामों का स्मरण कर रहे थे। जय लक्ष्मीनारायण, जय जीयर स्वामी। बारह बजे प्रारंभ हुई जलयात्रा एक छोर यज्ञ स्थल से निकल रहा था। वहीं दूसरी तरफ से अश्व एवं पैदल श्रद्धालु कलश के साथ यज्ञ क्षेत्र में प्रवेश कर रहे थे।
हाथी और उंट पीछे छूट गए थे। वाहनों का अंतिम काफिला साथ पुल पर लगभग चार बजे पहुंचा। जहां जल भरा जा रहा था। वहां से साथ गांव होते लोग गेरुआबांध होते पुन: उनवांस हनुमान मंदिर के पास निकले। जहां से सीधे यज्ञ स्थल पहुंचे। लाखों की तादात में श्रद्धालु पैदल, ट्रैक्टर, आटो, जीप एवं निजी वाहनों से कतार बद्ध होकर चलते रहे। जलयात्रा को संपन्न होने में लगभग सात बज गए। रास्ते में जो लोग अथवा महिलाएं चल नहीं पा रहीं थी। उन्हें काफिले में चल रहे वाहनों से यज्ञ स्थल पहुंचाया गया।
सबसे आगे चल रहे थे घोड़े, सबसे पीछे पहुंचा हाथी
बक्सर खबर। सड़क पर इतनी ज्यादा भीड़ थी लोगों को चलने में भारी मशक्कत उठानी पड़ रही थी। लेकिन, सबसे आगे चले घोड़े सबसे आगे पहुंचे। लेकिन, बहुत से घोड़े बीच में ही रुक गए। घोड़े के पीछे चल रहा हाथी सबसे बाद में यज्ञ क्षेत्र पहुंचा। इस दौरान अगर सबकी हिम्मत को मात देने वाले रहे तो वह थे बच्चे। वे वहीं थोड़ी देर के लिए रूकते जहां उनका कोई साथी पीछे छूट जाता। जैसे ही वह पास आता वे दौड़ पड़ते और सबसे आगे निकल जाते। 21 किलोमीटर का सफर उन्होंने ऐसे तय किया मानो वे किसी एथलीट को चुनौती देने की तैयारी कर रहे हों।
यज्ञा चार्य विजय जी ने कराया प्रधान कलश का पूजन
बक्सर खबर। साथ ठोरा पुल के पास वैदिक ब्राह्मणों के साथ पहुंचे यज्ञा चार्य विजय जी पहुंचे। वहां मौजूद स्वामी अयोध्यानाथ स्वामी, हरी ओम स्वामी, श्याम नारायण स्वामी आदि की मौजूदगी में प्रधान कलश का पूजन हुआ। वहां से प्रधान कलश को यज्ञशाला लाया गया। जहां एक परिक्रमा के बाद उसे मुख्य वेदी पर रखा गया। इस पूरी प्रक्रिया में सभी वैदिक परंपराओं का ध्यान रखा गया।
महिलाओं की रही सर्वाधिक भागीदारी
बक्सर खबर। लक्ष्मीनारायण महायज्ञ की जलयात्रा के दौरान यह देखने को मिला कि इसमें सर्वाधिक भागीदारी महिलाओं की रहीं। सर्वाधिक संख्या किशोरियों और युवतियों की रही। महिलाओं के साथ अधेड़ अवस्था को पहुंच चुकी माताएं भी कलश लेकर जल भरते हुए नजर आई। उनके परिजनों ने इच्छा का ध्यान रखते हुए वाहन आदि की व्यवस्था कर रखी थी। सभी ने शुभ्र वस्त्र धारण किया था। इस वजह से उनका कारवां देखते बन रहा था।
लोगों ने कलश यात्रियों की भरपूर सेवा
बक्सर खबर। कलश यात्रा के दौरान पुरुषोत्तमपुर, उनवांस, कोच, बकसड़ा, खतिबा मोड़, इटाढ़ी मोड़, साथ पुल, साथ गांव, सावा बांध, गेरुआबांध आदि जगहों पर पानी, सरबत, शुद्धा मिष्ठान, आदि की भरपुर व्यवस्था की गई थी। जहां देखिए कार सेवक के रुप में लोग मौजूद थे। इस दौरान किशोर व युवा दौड़-दौड़कर पैदल एवं वाहनों में चल रहे लोगों को पीने का पानी उपलब्ध करा रहे थे। तय स्थानों पर लगी पुलिस फोर्स भी अपनी ड्यूटी में मुस्तैद थी।