ग्रामीण पत्रकारों को मिले बेहतर मौका : सुधीर श्रीवास्तव

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बक्सर खबर : जिले में कुछ ग्रामीण पत्रकार ऐसे हैं। जिन्होंने पुरी लगन और निष्ठा अपना कार्य किया है। क्षेत्र की समस्या हो या बैनर की प्रतिष्ठा। उसके साथ कभी समझौता नहीं किया। ऐसे लोगों को जिले में बेहतर जगह मिलनी चाहिए। यह बात उस पत्रकार का दर्द है। जिसने पिछले डेढ़ दसक का समय पत्रकारिता को समर्पित कर दिया। चौसा के रहने वाले सुधीर श्रीवास्तव उनमें से एक हैं। बक्सर खबर ने अपने साप्ताहिक कालम इनसे मिलिए के तहत उनसे चर्चा की। सुधीर ने कहा आज जरुरत है ग्रामीण पत्रकारों को प्रोत्साहित करने की। तभी पत्रकारिता का और विस्तार होगा। साथ ही साथ पत्रकारों की जरुरत पर भी प्रबंधन को ध्यान देना चाहिए। राजधानी के कार्यालय में काम करने वाले लोगों को मोटा वेतन मिलता है। जिले और ग्रामीण स्तर पर पत्रकार आमदनी का जरिया मात्र हैं। सुधीर ने अपने अनुभवों को हमारे साथ साझा करते हुए कई बातें कहीं। प्रस्तुत है उनसे बातचीत के अंश।

क्षेत्र के विकास के लिए किया है संघर्ष
बक्सर : अपने गृह प्रखंड में काम करने का मौका सुधीर को मिला तो उन्होंने जी भर के कलम चलाई। वे बताते हैं वर्ष 2000 से लिखना प्रारंभ किया है। तब से लेकर आज तक मैने चौसा को अंचल कार्यालय, चौसा स्टेशन, गंगा पंप, चौसा-रामगढ़ पथ इन सबके लिए संघर्ष किया। आज इन सभी का विकास हुआ है। हालत में सुधार हुआ है तो यह पत्रकारिता की देन है। मुझे याद है चौसा में तब चार घंटे बिजली रहती थी। एक एक्सप्रेस ट्रेन यहां रुकती थी। आज कई गाडिय़ां चौसा में ठहरती हैं। बिजली जिले में सबसे अधिक चौसा में रहती है। अक्सर बंद रहने वाला गंगा पंप अब लगातार चलता है। इन सभी के लिए हमने संघर्ष किया है। बात अगर पत्रकारिता के सच्चे मूल्यों की करें तो हमने उसको जिया है।
पत्रकारिता जीवन
बक्सर : सुधीर बताते हैं मैं रांची में पढ़ता था। उसी समय से संपादक के नाम चिट्ठी लिखता था। वह बराबर छपती थी। गांव आने के बाद वर्ष 2002 में पटना गया था। मार्च का महीना था। हिन्दुस्तान कार्यालय के बाहर भीड़ लगी थी। पूछने पर पता चला संवाददाता के लिए इंटर व्यू चल रहा है। मैंने भी फार्म भरा और लाइन में खड़ा हो गया। गिरीश मिश्रा से संपादक थे। मेरा सलेक्शन हो गया। मई से मैं चौसा प्रखंड के लिए लिखने लगा। तब से आजतक लिख रहा हूं। चौसा में 16 बीडीओ के साथ अब तक मैने काम किया है। सभी मेरे सामने आए और गए। उन्हाेंने एक बात और कही। मेरे अनेक लेख देश के विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहे हैं। (यह पूरी जानकारी उनके द्वारा दी गई है )
व्यक्तिगत जीवन
बक्सर : सुधीर का जन्म 15 अक्टूबर 1970 को श्री कुबेर लाल के घर में हुआ। पांचवे पुत्र के रुप में आए सुधीर पूरे परिवार के दुलारे रहे। आज पिता जी नहीं है। इस लिए अपनी जिम्मेवारियों को खुद उठा रहे हैं। 2003 में शादी हुई। वे फिलहाल एक पुत्र व पुत्री के पिता हैं।

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