भाजपा नेता विशेश्वर ओझा की दिनदहाड़े हत्या

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बक्सर खबर : भाजपा नेता विशेश्वर ओझा की दिनदहाड़े हत्या कर दी गयी है। घटना में उनके चीर प्रतिद्वंदी विशाल मिश्रा का नाम आ रहा है। ऐसा बताया जा रहा है कि सोनवर्षा बाजार में साढे पांच से छह बजे के बीच यह वारदात हुई है। विशेश्वर ओझा ओझवलिया गांव के हैं। पडोसी गांव सोनवर्षा  के पूर्व प्रतिद्वंदी शिवाजीत मिश्रा के पुत्र विशाल ने सबके सामने विशेश्वर ओझा को गोलियों से भून दिया। घटना में स्वचालित राइफल का प्रयोग किया गया है। फिलहाल यही सूचना मिली है। इसमें दो अन्य लोग भी घायल हुए हैं।  ओझा शाहपुर से भाजपा उम्मीदवार के रुप में चुनाव लड़े थे। वे फिलहाल भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष थे। वैसे विशाल मिश्रा द्वारा हत्या किए जाने की बात सूत्रों से ज्ञात हुई है। आरा एसपी एमसी झा ने बक्सर खबर को बताया कि उनकी मौत गोली लगने से हो गयी है। शव अभी भी घटना स्थल पर है। पुलिस वहां पहुंच चुकी है। किसने और क्यू मारा। इसका जवाब उन्होंने नहीं दिया। विशाल मिश्रा का नाम लिए जाने पर उन्होंने कहा कि अभी तो कार्रवाई चल रही है। पर जानने वालों की माने तो शाम साढ़े पांच बजे के लगभग शाहापुर थाना के सोनवर्षा बाजार में वे गाड़ी रोक कर कुछ लोगों से बात कर रहे थे। तभी यह घटना हुई।

शव को सु‍रक्षित स्थान पर ले जाते लोग
शव को सु‍रक्षित स्थान पर ले जाते लोग

बाडी गार्ड देने से डीएम ने किया था इनकार, दो अन्य भी घायल
बक्सर खबर : विधानसभा चुनाव हारने के बाद विशेश्वर ओझा ने जिला प्रशासन ने बाडी गार्ड की मांग की थी। यह बात जिला सुरक्षा समिति की बैठक में डीएम के समक्ष रखी गयी। भोजपुर के जिलाधिकारी ने गार्ड देने से इनकार कर दिया। डीएम की मनाही के बाद उनको सुरक्षा कर्मी नहीं दिए गए।

सूचना के अनुसार घायल चालक
सूचना के अनुसार घायल चालक

चालक और मुखिया के पति भी हुए हैं घायल
बक्सर : जिस समय ओझा की गाड़ी पर सोनवर्षा में गोली चली। उनकी गाड़ी में देवकुली पंचायत मुखिया के पति कमलदेव ओझा और उनका  चालक राकेश ओझा मौजूद था। इन दोनों को भी गोली लगी है। इनका उपचार शाहपुर के ही अस्पताल में चल रहा था। वहां से उन्हें तत्काल आरा रेफर कर दिया गया है।

अन लकी रहा यह वर्ष
बक्सर: विशेश्वर ओझा के लिए वर्ष 2015 का विधान सभा चुनाव अनलकी रहा। इससे पहले वे शाहपुर से अपने भाई की पत्नी को दो बार विधायक बनाने में सफल रहे थे। इस बार स्वयं चुनाव लड़े तो जातिय गोलबंदी के कारण चुनाव हार गए।

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