तन व मन हुए चुस्त, संस्कार भी हुए पुष्ट

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बक्सर खबर : योग शब्द का सामान्य भाषा में अर्थ होता है जोडऩा। इसे गणित की भाषा में हम धन भी कहते हैं। योग को अगर मन से जोड़ दिया जाए तो यह मनोयोग हो जाता है। योग ऐसी पद्धति है, जो मन को तन से और इन दोनों को परमात्मा से जोड़ देती है। इस सुखद पल का एहसास पुलिस लाइन के जवानों ने पिछले तीन दिनों में किया। आर्ट आफ लिविंग संस्था की तरफ से पुलिस के प्रशिक्षु सिपाहियों को योगदान अभियान के तहत योग का अभ्यास कराया गया। बुधवार को प्रात: बेला में मैदान में जुटे चार सौ से अधिक रंगरुट ने योग, प्राणायाम व ध्यान की विधा सिखी। शिक्षक वर्षा पांडेय के निर्देशन में सभी ने सिर्फ योग ही नहीं सीखा। वरन बेहतर करने का संकल्प भी लिया। सभी ने एक स्वर में इसे दुहराया- हमें अपने मन को हमेशा संतुलित रखना है। इसमें ही हमारा आत्मविकास समाया है। मैं खुद के प्रति, कुटुंब के प्रति, काम समाज व विश्व के प्रति शांति आनंद और स्वास्थ्य के प्रचार के लिए बद्ध हूं। सबसे यह आग्रह किया गया। आप प्रतिदिन कुछ न कुछ अच्छा जरुर करें। इसकी वजह से आपका पूरा दिन सकारात्मक उर्जा से घिरा रहता है। समापन के दौरान रणधीर सिंह सार्जेंट मेजर को सम्मानित किया गया। आर्ट आफ लिविंग की टीम व पुलिस पदाधिकारियों ने मिलकर यादगार मौके पर परिसर में रुद्राक्ष का पौधा भी लगाया। जिसकी देखभाल का सभी ने संकल्प लिया। पुलिस कप्तान उपेन्द्र कुमार शर्मा ने इस कार्य के लिए आर्ट आफ लिविंग टीम को बधाई दी।

परिसर में रुद्राक्ष का पौधा लगाते आर्ट आफ लिविंग के सदस्य
परिसर में रुद्राक्ष का पौधा लगाते आर्ट आफ लिविंग के सदस्य

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