बक्सर खबर : राज्य के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी सोमवार को डिहरी हाई स्कूल पहुंचे थे। उन्होंने जब विद्यालय का भवन और उपलब्ध भूमि देखी तो प्रशंन्न हुए। इस विद्यालय को और भी बेहतर बनाया जा सकता है। यह कहते हुए वे प्रधानाध्यापक और शिक्षकों से मिले। उनकी बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी। इसी बीच गांव के एक पक्ष विद्यालय परिसर में दाखिल हो गया। उनके सामने ही वे लोग जोर-जोर से प्रधानाध्यापक और शिक्षकों को गाली देने लगे। ऐसे लग रहा था कि नौबत मारपीट तक पहुंच जाएगी। इसी गांव के लोग अपने ही बच्चों के सामने जिस तरह से गाली दे रहे थे। उसे सून किशोर छात्र व छात्राएं हंस रहे थे। शिक्षकों के चेहरे उड़े हुए थे। लोग चिल्ला रहे थे- कोई समय से नहीं आता। हेडमास्टर का भी वही हाल है। विद्यालय के विकास की बात कर रहे मंत्री भी चुप हो गए। वे समझ गए यह सारे लोग मुझे सुनाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। जिसे देखते हुए वे तुरंत वहां से निकल गए। गांव वालों ने जो नजीर उनके सामने पेश की उसे देख वे भी दंग रह गए। जहां के लोग शिक्षक से ऐसा बर्ताव करते हो वहां रुकना नीति के खिलाफ है।
सही बात है । विरोध जताने और शिकायत करने का ये तरीका कतई उचित नहीं है । बच्चों को विद्यालय में भेज देना ही अपने जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाना और बच्चों की पढाई पूरी हो जाना नहीं है । विद्यालय से पहले एक माता -पिता और उसका परिवार ही उसकी पाठशाला होती है । अब विशेष क्या कहें समझदार को इशारा काफी है ।