बक्सर खबर : डुमरांव व्यवहार न्यायालय के एक वर्ष पूरे हो गए हैं। वर्षगाठ को उत्सव के रुप में मनाने के लिए पिछले सप्ताह से कार्यक्रम चल रहे थे। शनिवार को इसका समापन हुआ। जिसमें हाई कोर्ट के न्यायाधीश बिजेन्द्र नाथ व डुमरांव महाराज कमल बहादुर सिंह भी शामिल हुए। गरिमा के इस पल को यादगार बनाने के लिए स्मारिका का विमोचन भी किया गया। इतना सबकुछ होने के बाद भी इस मंच पर ऐसी गलती हुई। जिससे यह कार्यक्रम यादगार नहीं बदनुमा दाग बनकर रह गया। पूरे देश में डुमरांव को पहचान देने वाले महाराज कमल बहादुर सिंह की यहां घोर उपेक्षा हुई। ऐसा किसी और ने नहीं बार संघ डुमरांव ने अधिवक्ताओं ने किया। देश के सर्वोच्च सदन के सदस्य रहे महाराज कमल सिंह को ऐसी जगह दी गयी जैसे वे बीन बुलाए महमान हों। आयोजकों में न्यायीक अधिकारी व बार संघ के सदस्य शामिल थे। इन सभी ने न तो उन्हें सम्मानित किया न ही मंच पर उचित स्थान दिया। हमारे समाज में बुजुर्गो को वैसे भी सम्मान दिया जाता है। बावजूद इसके न्यायधीशों की आगवानी में लगे अधिवक्ता सामान्य शिष्टाचार भी भूल गए। इसको लेकर मौके पर मौजुद युवराज चन्द्रविजय सिंह बहुत ही नाराज दिखे। उनके अनुसार बार संघ के लोगों ने महाराज से मिलकर कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आग्रह किया था। तब वे यहां तक चलकर आए थे। जिस भूखंड पर आज न्यायालय खड़ा है। वह महाराज कमल बहादुर सिंह की देन है। इतना ही नहीं यहां के सभी प्रशासनिक भवन भी उनके द्वारा दान में दी गयी जमीन पर ही बने हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बार संघ के सदस्य शंभुशरण नवीन और संचालन कर्ता ओम प्रकाश वर्मा ने इस पर ध्यान नहीं दिया। अधिवक्ता संघ की यह करनी वर्षो तक डुमरांव में याद की जाएगी।
sayad ye log bhul gye the ki jo insan enke samne baithe h wo khud ek court h koi advocate ni…
Bhut bura hua….ye apman na kewal “MAHARAJA BAHADUR KAMAL SINGH “jee ka hua hai…balki pure jile ka apman hai ye….