बक्सर खबरः संघ ही अखंड भारत की परिकल्पना सकार करेगा। आरएसएस ही एकमात्र ऐसा संगठन है जो राष्ट्रीय चिंतन और भारत को निस्वार्थ भाव से विश्वगुरू बनाने में लगा हुआ है। उन्होंने भारत को देवभूमि बताते हुए कहा कि अपने ही देश के कुछ स्वार्थी लोगों द्वारा भारत माता के टुकड़े करने में सहयोग किया गया। जिस कारण आज भारत माता के खंडित चित्र पर माल्यापर्ण किया जा रहा है जो शास्त्र के विरूद्ध है। उन्होंने कहा कि आरएसएस द्वारा ही अखंड भारत के परिकल्पना को साकार किया जाएगा। यह युक्त बातें युवराज चंद्र विजय सिंह ने रविवार को डुमरांव के मार्वल हाउस में आयोजित अखंड भारत दिवस पर कही। उन्होंने कहा कि भारत की सीमा को खुद प्रकृति ने अपने हाथों से बनाया है। दक्षिण में समुद्र तथा उतर-पूर्व तथा पश्चिम में हिमालय की सन शाखाओं, उपशाखाओं, हिमालय से निकलने वाली नदियां, अफगानिस्तान, सुमात्रा, तिब्बत, कैलास मानसरोबर ये क्षेत्र सम्मिलित है। यही भारत की असली सीमा भी है। इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत भारत माता के चित्र पर माल्यापर्ण व दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता युवराज चंद्र विजय सिंह ने किया। मुख्य वक्ता डा अंगद ने कहा कि अखंड भारत को बनाना संघ का अंतिम लक्ष्य है। वही अपने उदबोधन में जिला शारीरिक प्रमुख सुधीर कुमार ने कहा कि भारत माता की अखंड मूर्ति की पूजा महर्षि अरबिंद सावरकर, भगत सिंह, खुदीराम बोस, सुभाषचंद्र बोस, डा केशव बलिराम हेडगेवार आदि महापुरूषों ने भी की थी। उन्होंने कहा कि इंडिया, सिंधु, हिंदु, हिन्दुस्तान, सप्त सैंधव ये नाम भारत के पर्यायवाची है। सिंधु नदी के बिना हिंदुस्तान की सार्थकता प्रतीत नहीं हो रही है। उन्होंने अपने देश की भाषा के उत्थान के लिए भी लोगों से आगे आने का आह्वान किया। विचार गोष्ठी को मुख्यअतिथि रमेश प्रताप शाही ने भी संबोधित किया। मौके पर सूर्यकांत तिवारी, राजीव कुमार भगत, राजकिशोर पाठक, रघुवर सिंह, शशि यादव, ओमप्रकाश यादव, विभा यादव, सुप्रिया, मुन्ना यादव, प्रिति, खुशबू वर्मा, अमृता यादव, करण, रिया, प्राची समेत सैकड़ो स्वयंसेवक उपस्थित थे।