बक्सर खबर : कई मतों के अनुसार हनुमज्जयंती चैत्र शुक्ल एकादशी , पूर्णिमा , कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी व कार्तिक पूर्णिमा को भी मनायी जाती है , जिसमें प्रमुख कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी और चैत्र पूर्णिमा है ।।
” वज्रदेहं पुत्रवरमुमाकान्तस्तदाब्रवीत् ।
एकदशो महरुद्रस्तव पुत्रो भविष्यति ।।
एक समय ऋष्यमूक पर्वत पर , वानर राज केशरी की सती साध्वी अंजनी ( अंजना ) नामकी भार्या ने पुत्र प्राप्ति के लिए आशुतोष भगवान् शंकर की सात हजार वर्ष पर्यन्त उग्र तपस्या की भगवान शिव ने कहा , हे अन्जने ! हाँथ फैलाकर मेरे ध्यान में मग्न रहो , तुम्हारी अञ्जलि में पवनदेव के द्वारा प्रसाद रखकर अंतर्धान पर उस प्रसाद को खाने पर निश्चय हीं एकादश रुद्रावतार रूप परम तेजस्वी तुम्हे पुत्र प्राप्त होगा ।
इस प्रकार मङ्गलवार की वेला में मौंजी मेखला , कौपीन , यज्ञोपवीत एवं कानों में कुण्डल धारण किये हुए मूँगे के समान रक्त वर्णवाले मुख एवं पूँछ युक्त वायुपुत्र बुभुक्षित ( भूखे ) वानररूप में प्रकट हुए ।
इन मान्यताओं के अनुरुप शनिवार को जिले में जगह-जगह हुनमान जयंती का आयोजन हुआ। शहर के पवन नंदन विद्या मंदिर में इसका शुभारभ पूर्व मुख्य पार्षद मीना देवी ने किया। इस मौके पर पवननंदन, रामेश्वर वर्मा, विनोधर ओझा, आदि मौजूद रहे।
दूसरी तरफ शेरपुर गांव में राजपत्रित कर्मचारी संघ के नेता अरुण ओझा द्वारा भी हनुमान जयंती मनायी गयी। उनके घर पर उत्सव आयोजित हुआ। एवं चौबीस घंटे का हरी किर्तन आयोजित किया गया।