बक्सर खबर : जब पुरा बिहार 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह मना रहा होगा। वह उत्सव बक्सर के लिए पूरे प्रदेश में खास होगा। इस वर्ष बिहार गौरव का सम्मान बक्सर को मिलने जा रहा है। गांधी मैदान में आयोजित कार्यक्रम में यह सम्मान बक्सर के डा. संजय कुमार ग्रहण करेंगे। कहने को तो यह पुरस्कार उनको व्यक्तिगत उपलब्धि के लिए दिया जा रहा है। पर उनकी माने तो यह पुरस्कार उनका नहीं, बक्सर की माटी का है। जिसने उन्हें यहां तक पहुंचाया। डा. संजय के लिए यह पुरस्कार उतना महत्व नहीं रखता। जितना महत्व बिहार और बक्सर उनके लिए रखता है।
कौन हैं डा. संजय कुमार
बक्सर : डा. संजय कुमार कहीं और के नहीं डुमरी के रहने वाले हैं। सिमरी प्रखंड के अंतर्गत आने वाले गांव में ही उनका बचपन गुजरा। पिता तेजनारायण कुमार व माता सावित्री देवी के आर्शीवाद ने आज उन्हें यहां पहुंचा दिया। कभी डुमरी के कृष्ण प्रसाद हाई स्कूल से निकल डीके कालेज जाने वाले होनहार छात्र ने इंजीनियरिंग की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। वहां से बीआइटी सिंदरी पहुंच गए। परिश्रम ने रंग दिखाया। 1984 में पायलट अफसर बनकर वायु सेना में चले गए। फिर क्या था। वहां भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। सीनियर एयर कोमोडोर अफसर रहते हुए विशिष्ट सेवा का मेडल प्राप्त किया। उन्होंने ऐसी तकनीक को विकसित किया। जिससे भारतीय लड़ाकू विमान दुश्मन के रडार की पकड़ में नहीं आते।
राष्ट्रपति भी कर चुके हैं सम्मानित
बक्सर : देश की सेना के लिए ऐसी तकनीक विकसित करने वाले डा. संजय पर आज पूरे देश को नाज है। इस कार्य के लिए 8 अक्टूबर 016 को माननीय राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया। उन्होंने रिसर्च की कुल सात किताबें लिखी हैं। जिनमें से कुछ आई आई टी में पढ़ाई जाती हैं। इन्होंने एप्लीकेशन माइक्रोवेब इंजीनियरिंग, वेब प्रोपेगेशन एंड एंटीना इंजीनियरिंग पर किताबें लिखी हैं।
आई टी एम के हैं वीसी
बक्सर : सेवानिवृत होने के बाद डा. संजय इन दिनों इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी मैनेजमेंट रायपुर, छत्तीसगढ़(आइटीएम) के वाइस चांसलर हैं। बक्सर खबर से हुई बातचीत में उन्होंने कहा, आवश्यकता है बिहार को आगे ले जाने की। यह तभी संभव है जब पढ़ाने वाले लोग स्वयं अपडेट हों। तकनीक बदल रही है। देश स्टार्ट अप की तरफ बढ़ रहा है। युवाओं को विशेष रुप से इसकी तैयारी करनी चाहिए। आप अपने को बेहतर बनाने के लिए जितनी लगन से काम करेंगे। सफलता उतनी ही आसानी से मिलेगी।
बक्सर से बेहद लगाव
बक्सर : गांव के छात्र से तकनीक के विश्व विद्यालय के वीसी तक का सफर तय करने वाले डा. संजय का अपनी मिट्टी से बेहद लगाव है। उन्होंने कहा जो संस्कार रामरेखा घाट की गलियों और मां गंगा से मिला है। वह मुझे हर वर्ष गांव बुला लेता है। वर्ष 2015 में पिता तेजनारायण कुमार का स्वर्गवास हो गया। मां सावित्री का आर्शीवाद अभी भी प्राप्त है। सितम्बर 16 में सेवा निवृत होने के बाद से अब हर पल जैसे गांव और अपने शहर की याद आती है। जब कभी जिले में युवाओं के लिए कुछ खास हो। अथवा प्रशासन या पत्रकार शिक्षा से जुड़े कार्यक्रम आयोजित करें तो मैं आने के लिए तैयार हूं। वैसे मैं प्रतिवर्ष समय निकाल कर अपने गांव जाता हूं। मेरे पुत्र आनंद कुमार 2012 बैच के आई आर एस पदाधिकारी हैं। उन्हें सिविल सेवा में 332 स्थान मिला था। मैं उनसे भी कहता हूं। जहां रहें बिहार और अपने बक्सर का नाम उंचा रखें।
28 को आल इंडिया रेडियो पर सुन सकते हैं छात्र
बक्सर : देश को नई तकनीक से जोडऩे, छात्रों के सफल भविष्य के लिए बेहतर मार्गदर्शन देने की दक्षता रखने वाले डा. संजय को आप सभी 28 जनवरी को आल इंडिया रेडियो पर सुन सकते हैं। छात्रों के लिए प्रसारित होने वाले कार्यक्रम में वे अपनी जानकारी शेयर करेंगे।