बक्सर खबर : बिहार में लागू हुई शराब बंदी ने तस्करी को बढ़ावा दिया है। उत्पाद अधिनियम शराब पर अंकुश लगाने में विफल साबित हो रहा है। क्योंकि तस्कर रोज नए तरीके इजाद कर रहे हैं। कुछ दिन पहले फ्रुटी के नाम से विदेशी शराब बाजार में उपलब्ध थी। अब दवा के नाम पर उपलब्ध है। स्क्वील नाम से इसकी बोतले गांव-गांव में बिक रही हैं। पूछने पर पता चलता है यह खांसी की दवा है। प्रिंट 14 रुपये का है। बाजार भाव 150 रुपये। शराब के शौकीन खुले तौर पर इसका उपयोग मजे से कर रहे हैं।
कहां का ब्रांड लेबल
बक्सर : खासी की दवा के नाम पर मिलने वाली इस शराब की शीशी पर चिल्का फार्मेसी प्रा. लि. का स्टिकर लगा है। पता डाबर ग्राम, जसिडिह, झारखंड लिखा है। एक विशेष पहचान यह है कि दवा में क्या मिलाया गया है। इसका कंबिनेशन बोतल पर कहीं अंकित नहीं है।
कैसे पहुंच रही है बिहार
बक्सर : सूत्रों का कहना है शराब की यह बोतल झारखंड से यूपी जाती है। वहां से इसे बिहार लाया जाता है। चोरी छुपे के अलावा दूध का कारोबार करने वाले लोग भी इसे केन में भरकर यहां ला रहे हैं। पुलिस और उत्पाद विभाग की नजर से दूर रहने वाली बोतल में क्या भरा है। इसकी जानकारी प्रशासनिक महकमें को नहीं है।
क्या कहते हैं उत्पाद अधीक्षक
बक्सर : दवा के रुप में खुलेआम बेची जा रही शराब के बाबत उत्पाद अधीक्षक मनोज कुमार से पूछा गया। उनका जवाब था हमें इसकी जानकारी नहीं है। ऐसा है तो छापामारी होगी। दवा का सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाएगा। अगर शिकायत सही मिली तो दवा कंपनी पर कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा।