बक्सर खबर : (यज्ञ स्थल – चन्दवा,आरा, 12 जुलाई 2017) : चातुर्मास्य व्रत के दौरान कथा प्रवचन के माध्यम से बुधवार को स्वामी जी महाराज ने कहा कि भगवान् के द्वारा संसार की रचना, पालन एवं संहार होता है। जब जब दुष्ट राजाओं की वृद्धि हो जाती है, तो भगवान् स्वयं अवतार लेकर उसका नाश करते हैं और धर्म की रक्षा करते है। भगवान् श्रीकृष्ण और भगवान् श्रीराम के चले जाने के बाद विक्रमादित्य पुनः अपने तरीका से वर्तमान के तीर्थों को विकसित कर पुरे दुनिया के तीर्थ का विकास किए। जिममें मथुरा, ब्रज, गोकुल, वृन्दावन और अयोध्या भी शामिल है। स्वामी जी महाराज ने कहा कि दैविक इच्छा मानकर उस विषम परिस्थिति को स्वीकार करना चाहिये।
सज्जन व महापुरुष लोगों के छोड़ कर चले जाने के बाद हमारे दिल दिमाग में उदासी छा जाती है। यही हाल हस्तिनापुर का हो गया। अन्याय, अनीति व अधर्म से प्राप्त व्यक्ति ज्यादा दिन तक टीक ही नहीं सकता। सज्जन व्यक्ति, पुरुषार्थी व्यक्ति को धन, सम्पत्ति, पद, प्रतिष्ठा, मान, सम्मान के प्रति लिप्सा आसक्ति नहीं रहती। वही समान्य व्यक्ति को सब चीजों की लालसा रहती है। इसीलिये शास्त्र में बताया गया है कि संगति ही इसका कारण बन जाता है। स्वामी जी महाराज ने बताया कि हरिद्वार से उपर की भूमि को देवभूमि और हरिद्वार से निचे की भूमि को पृथ्वी कहा जाता है। समान्य व्यक्ति धर्म तो करता है और धर्म में अपने द्वारा जोड़ देता है, कुछ लपेट देता है इसी कारण स्वर्ग में भी नर्क जैसी यातना का सहन करना पड़ता है। महाभारत युद्ध के समय विदुर जी हस्तिनापुर या कुरुक्षेत्र में नहीं थे। वे तीर्थयात्रा पर चले गये थे। आगे स्वामी जी महाराज ने कहा विदुर जी को इस धराधाम पर शापवश आना पड़ा। धर्मराज द्वारा प्रश्न करने पर विदुर जी ने सभी वृतान्त को बताया है।