बक्सर खबरः सोमवार को रक्षाबंधन का त्योहार परंपरागत उल्लास तथा शांतिपूर्ण माहौल में मनाया गया। परंपरा के अनुसार बहनों ने अपने भाईयों के कलाई पर रक्षासूत्र बांध उन्हें आंतरिक तथा बाह्य दोनों खतरों से सुरक्षा की दुआ मांगी। भाईयों ने भी अपने बहन की रक्षा की प्रतिज्ञा की। सावन पूर्णिमा को प्रत्येक वर्ष यह त्योहार काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है। सुबह से ही रक्षाबंधन का असर दिखाई पड़ने लगा था। सभी उम्र के लड़के-लड़की तथा स्त्री -पुरूष नहा धोकर नये कपड़े में पहन त्योहार मनाने में व्यस्त हो गए। इस दौरान लोगों विभिन्न मंदिरों में मत्था टेका। बताया जाता है कि रक्षाबंधन के त्योहार का पौराणिक महत्व है।
इसे राजा बलि तथा भगवान विष्णु के वामन अवतार से जोड़कर देखा जाता है। आधुनिक इतिहास में रानी कर्मावती द्वारा दिल्ली के बादशाह हुमायू को राखी भेज सहायता मांगने की घटना को रक्षाबंधन की शुरूआत माना जाता है। इस संबंध में पंडित धनंजय चैबे ने बताया कि राजा बलि के अश्वमेघ यज्ञ को रोकने तथा उसकी अति दानशीलता के घमंड को चूर करने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार ले तीन पग जमीन मांगने के बहाने बलि को छला था तथा उसे पाताल लोक भेज दिया था। लेकिन बली को बरदान देने में खुद वे वहा के पहरेदार बन गए थे। जिसके बाद देवी लक्ष्मी ने बलि का भाई बन उससे श्रीहरि को मांगा था। इसके बाद से रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है। रक्षाबंधन पर खासकर छोटे उम्र के बच्चों में विशेष उत्साह देखा गया। पिछले कुछ दशक में रक्षाबंधन का यह पहला मौका था जब बाजार में चाइनिज राखी नहीं बिकी।