बक्सर खबर : इंतजार समाप्त हुआ। आज की सुबह विश्व अध्यात्म के आधुनिक इतिहास की अमिट तारीख है। 30 सितम्बर की तिथि पूरे देश में कालांतर तक याद की जाएगी। क्योंकि विश्व के सबसे बड़े यज्ञ के लिए सवा लाख कलश के साथ जलयात्रा निकलेगी। आरा के चंदवा (एक चक्रापुरी) से निकले याज्ञिक श्रद्धालु बड़का गांव घाट से यज्ञ के निमित जल भरेंगे। कलश यात्रा का समय दोपहर बारह बजे प्रारंभ होगा। इसकी भव्यता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है। यात्रा में वैदिक परंपरा के अनुसार सबसे आगे अश्व, गज, उंट, के साथ सवा लाख कलश लिए श्रद्धालु एवं अनगिनत संख्या में वैष्णव भक्त शामिल होंगे।
जल यात्रा यज्ञ स्थल से प्रारंभ होकर आरा शहर होते हुए, रमना मैदान, स्टेशन रोड, ओवर ब्रिज, चदवा मोड से होकर बड़का गांव घाट पहुंचेगी। वहां से पुन: यज्ञ स्थल आकर समाप्त होगी। यज्ञ समिति के अनुसार 1 अक्टूबर से 1008 यज्ञ शालाओं में श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ प्रारंभ हो जाएगा। यह महायज्ञ पूज्य संत जीयर स्वामी जी महाराज के सत संकल्प से आयोजित किया गया है। जिसका कारण वैष्णव धर्म के अनुयायी भाष्यकार रामानुजाचार्य जी जयंती वर्ष का होना है। इसके अलावा 32 यज्ञ शाला का अतिरिक्त निर्माण कराया गया है। जिसमें घी की आहूति दी जाएगी। इनमें दक्षिण भारतीय पद्धति से यज्ञ होगा।