बक्सर खबर : लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का नजारा देखने से ऐसा लगता है। भगवान नारायण स्वयं तिरंगा लेकर यह यज्ञ क्षेत्र में विराजमान हों। राष्ट्रीयता का संदेश देते यज्ञ क्षेत्र का नजारा देखने लायक है। चार किलोमीटर के व्यास में फैली यज्ञ शाला के चारो तरफ तिरंगे के रंग में कपड़े लगाए गए हैं। मेन गेट से लेकर प्रवचन पंडाल तक, हर प्रवेश द्वार को इसी तरह के कपड़े से सजाया गया है। जिसे देखने से ऐसा लगता है। मानों चारों तरफ बस एक ही संदेश देने का प्रयास किया गया है। धर्म कार्य हो साथ ही साथ राष्ट्रीयता को प्रमुखता दी जाए। पूर्व से निर्धारित कार्यक्रमों पर नजर डाले तो यह यज्ञ अपने आप में राष्ट्र प्रेम, प्रकृति संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण प्रतीत होता है।
वायु मंडल को पवित्र करती मंत्र ध्वनी एवं यज्ञ शाला का पवित्र धुंआ। इसके उपरांत प्रवचन से स्वच्छता का संदेश। सवा लाख फलदार वृक्ष का वितरण अर्थात पर्यावरण संरक्षण। और चारो तरफ तिरंगा कपड़ा अर्थात राष्ट्र प्रेम। यज्ञ समिति के सदस्यों ने बताया संपूर्ण यज्ञ क्षेत्र को तिरंगे का स्वरुप देने के लिए लगभग 50 हजार मीटर कपड़े का प्रयोग किया गया है। जिसमें दस लाख रुपये से अधिक का खर्च आया है। जो सिर्फ इस निमित खर्च की गई है। जिससे लोग यह समझे। राष्ट्र प्रेम की हमारा मूल धर्म है। जितनी निष्ठा भगवान में भक्त की होती है। वैसी ही निष्ठा प्रत्येक भारतीय को अपने राष्ट्र से होनी चाहिए।