बक्सर खबर : जिसके हाथ में जनता की रक्षा और कानून के अनुपालन का अधिकार है। अगर वही ईमानदार नहीं हो तो लोगों की शक होने लगता है। उन्हीं जिम्मेवार कंधो पर खाकी वर्दी दी जाती है। इस हफ्ते हमने जिले की पुलिस पर नजर डाली। अपने साप्ताहिक कालम पोल-खोल के लिए पिछली कुछ घटनाओं का अवलोकन किया। यह तस्वीर साफ होती दिखी। पुलिस की छवि संदेह के घेर में है। हम इसका दावा नहीं करते। लेकिन जो घटनाएं हुई। उसमें पुलिस की भूमिका संदेह से परे नहीं है। हम एक दिन पीछे चलते हैं। सोमवार को औद्योगिक पुलिस ने सात लोगों को जेल भेजा। वजह थी विवादित मामले में असलहा लेकर जाना। जिन लोगों को हिरासत में लिया गया। उनके खिलाफ किसी ने शिकायत नहीं की। बावजूद इसके पुलिस ने स्वयं प्राथमिकी दर्ज कर जेल भेज दिया। विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस का यह कदम उचित बताया गया। बहर हाल इसी थाने की दूसरी घटना पर नजर डालते हैं।
जारी है वारंट फिर भी नहीं हो रही कुर्की
बक्सर : औद्योगिक थाने के इलाके में चुरामनपुर गांव आता है। वर्तमान मुखिया के परिजनों पर वर्ष 2017 में ही गोलीबारी हुई थी। मामले में वांछित बिटू पांडेय, सिटू पांडेय और सोनू कोहार के खिलाफ न्यायालय से कुर्की का वारंट जारी है। पुलिस के पास यह वारंट दुर्गा पूजा त्योहार के पहले पहुंच गया है। लेकिन उसका तामिला नहीं हो रहा है। जबकि इनमें से कुछ अभियुक्त मुखिया के पति झमन पांडेय की हत्या में भी वांछित हैं। इनके खिलाफ मुकदमा संख्या 4/16 में गवाही चल रही है। दो-दो मुकदमें में जो वांछित हैं। उनकी गिरफ्तारी नहीं होना पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े करता है।
गोली मारने वाले असलहे समेत हैं फरार
बक्सर : राजपुर के अकबरपुर गांव में सप्ताह भर पहले गोली चली। विद्यासागर उर्फ विधायक को गोली लगी। ऐसा करने वाले असलहा, गाड़ी समेत फरार हैं। पुलिस उनको तलाशने में विफल है। जो नामजद है उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पा रही। ऐया क्यूं हो रहा है? यह सवाल पुलिस की गतिविधि पर सवाल खड़े करने वाला है। राजपुर थाना के तियराी बाजार में दिन दहाड़े गोली चली। किसी ने शिकायत नहीं की। तब पुलिस ने किसी पर प्राथमिकी दर्ज नहीं की। उल्टे जीन लोगों ने घटना का विरोध किया। पुलिस ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली। ऐसे में पुलिस के सिस्टम पर कई सवाल खड़े होने स्वाभाविक हैं।
कप्तान की है जिम्मेवारी
बक्सर : पुरानी कहावत है। ताली कप्तान को तो ….. भी कप्तान को। ऐसे में अगर पुलिस की छवि पर दाग लगने का सिलसिला बरकरार है तो इसका श्रेय कप्तान के जिम्मे जाता है। क्योंकि पुलिस पब्लिक में कैसी छवि बन रही है। इसका पूरा दारोमदार उनके उपर ही है।