बक्सर खबर : भार्गव ऋषि का आश्रम कभी वेदगर्भापुरी के उत्तरी छोर पर हुआ करता था। आज उस गांव का नाम भभुअर है। जहां शुक्रवार को पंचकोशी परिक्रमा का तीसरा पड़ाव लगा। यहां पहुंचे श्रदलुओं ने पहले भार्गव सरोवर की परिक्रमा की। हालाकि अब तालाब जल कुंभी से भरा पड़ा है। लेकिन मान्यता के अनुरुप सरोवर आज भी विद्यमान है। आम जन के साथ संत-महात्मा जनों ने भी परिक्रमा में हिस्सा लिया। सीता राम विवाह आश्रम के महंत राजा राम शरण जी, बसांव मठ के अच्युतप्रपन्ना चार्य जी, रामनाथ ओझा, कई संत महात्मा सहित समाज सेवी के रुप में परशुराम चतुर्वेदी, सत्यदेव प्रसाद, बबन सिंह आदि लोग नजर आए।
इस दौरान पूरा गांव ही नहीं आस-पास का समूचा क्षेत्र श्रद्धालुओं से पटा रहा। परिक्रमा के उपरांत और कुछ लोगों ने परिक्रमा से पहले तालाब के किनारे स्थित भार्गवेश्वर महादेव की पूजा अर्चना की। यह शिवालय आदि काल के हैं। ऐसी मान्यता हैं। पंचकोश मेले में आए श्रद्धालु यहां पूजा अर्चना करते हैं। पूजन, अर्चन, परिक्रमा के उपरांत सभी श्रद्धालु यहां चुड़ा दही का भोजन करते हैं। ऐसा बताया जाता है। जब भगवान महर्षी विश्वामित्र के साथ इस भार्गव ऋषि के आश्रम पहुंचे। उनको चुड़ा दही खिलाया गया था। यही वजह है आज भी लोग प्रसाद स्वरुप वहीं भोजन करते हैं।