बक्सर खबरः जिला भूअर्जन पदाधिकारी के पद पर कार्यरत तौकिर अकरम का कद काफी अच्छा था। वे कई महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे। पूर्व डीएम रमण कुमार ने महत्वपूर्ण पदों का प्रभार दिया था। जिला परिवहन पदाधिकारी बनाए गए। इसका प्रभार रहते ही डीएम के ओएसडी बनाए गए। पूर्व से ही भूअर्जन पदाधिकारी थे। उनके पास काम और सम्मान दोनों था। ऐसे में आत्महत्या करने की वजह क्या हो सकती है? यह प्रश्न सभी के जेहन में घूम रहा है। नए डीएम अरविंद कुमार वर्मा ने उनके कद को और बढ़ा दिया था। समाहर्ता कार्यालय में उनकी अहम भूमिका थी। इतना अहम किरदार होने के बावजूद तौकिर की मौत पहेली बन गई है।
भूअर्जन से जुड़े मामले में बंद था वेतन
बक्सर खबरः जिला भूअर्जन पदाधिकारी होने के कारण तौकिर अकरम का वेतन बंद नहीं बाधित था। जस्टिस बीके राय के परिजनों ने कोइलवर तटबंध के मुआवजे के लिए अपील दायर की थी। मामला बक्सर जिला बनने के पूर्व का था। बावजूद इसके मौजूदा पदाधिकारी का आधा वेतन कोर्ट में जमा करने का आदेश न्यायालय ने दिया। बिहार लैंड ट्रिब्यूनल कोर्ट के आदेश के कारण पिछले नौ माह से वेतन बाधित था। सूत्रों के अनुसार वह मामला भी अब निपट गया था। इसलिए वह दबाव भी प्रासंगिक नहीं रहा।
नहीं है कोई औलाद
बक्सर खबरः तौकिर अकरम 44 बैच के बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। वे मूल रूप से फुलवारी पटना के निवासी थे। बारह वर्ष पहले उनकी शादी हुई थी। उनको कोई औलाद नहीं है। जानकारों के अनुसार बेगम बहुत ही नेक खयाल की सलिकेदार महिला हैं। उनसे अनबन की गुंजाइश न के बराबर है। ऐसे में तौकिर अकरम की आत्महत्या पहेली बन गई है। सुसाइड नोट में उन्होंने महज दो-तीन वाक्य लिख निपटा दिया है। वहां भी कोई गुंजाइश नहीं बची।