बक्सर खबर: सीमा अभी महज एक दिन की है। उसे अपने हालात की जानकारी नहीं है। उसे बस रोना और हंसना ही आता है। तकलीफ होती है तो रो देती है। खुश होती है तो हंस देती है। लेकिन सीमा जब बड़ी होगी। जब उसे सबकुछ समझने का होश आ जाएगा। तब भगवान से यही गुहार लगाएगी- कि अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो। सीमा मंगलवार को साथ गांव के पास नहर पर लावारिस हालत में मिली।
लाज की मारी उसकी मां ने उसे जन्म देने के तुरंत बाद फेंक दिया था। इस करतूत से जमाने के सामने शर्मिंदा होने से तो मां बच गई। लेकिन सीमा के लिए मां जैसे अहसास से सीमा के लिए बेमतलब कर गई। वह कभी जान ही नहीं पाएगी कि उसकी रगों में जिस मां का लहू दौड़ रहा है, वह कैसी थी।
फिलहाल एक दिन की सीमा बाल कल्याण समिति के पास है। नवजात को सीमा नाम समिति की ओर से ही दिया गया है। समति के अध्यक्ष डा. रमेश चंद्र पांडेय ने मोनालिसा प्रशिक्षण और कल्याण केंद्र से बच्ची को स्वीकारने का आग्रह किया है।