बक्सर खबर। देखे होंगे आप बक्सर के कई रंग। हैरान हुए होंगे देखकर। परेशान भी। लेकिन असली रंग हम दिखाएंगे आपको। जिस पर आपको गर्व होगा। नाज भी। खुशी भी। क्योंकि बक्सर का असली रंग यही है। हमें इसी रंग को चटख करना है। इतना चटख कि अफसोस वाले दूसरे सारे रंग फीके पड़ जाएं। देश में जहां राजनीति हिंदू-मुसलिम के बीच खाईं को चौड़ा करती जा रही है। वहीं एक अनाथ मुस्लिम बेटी के निकाह के लिए बक्सर के दर्जनों हिंदू बाप बनकर खड़े हो गए। आज शुक्रवार को उस बेटी का निकाह है। वह विदा होगी ससुराल। साथ ले जाएगी इन बापों के दिए सामान को। लेकिन उससे कहीं ज्यादा कीमती जो चीज लेकर जाएगी, वह होगा इन सभी का आशीर्वाद।
एहसान खान। यही नाम है उस बुजुर्ग का जो उस बेटी केदादा हैं। रहने वाले तो बक्सर के हैं। लेकिन फिलहाल उनका ठिकाना डुमरांव है। ठिकाना भी अपना निजी नहीं, साढू का दिया हुआ। गरीबी ऐसी कि दो जून की रोटी मुहाल है। ऐसे में पोती के निकाह का खर्च कहां से उठाते। सो, उन्हें याद आया अपना बक्सर। उम्मीद थी उनको अपने बक्सर वालों से। उम्मीद होना लाजिमी भी है। एक माह पहले एहसान की तबीयत बहुत खराब हो गई थी। तब बक्सर के युवा शक्ति सेवा संस्थान के रामजी सिंह ने उनका इलाज कराया था। इस बार भी एहसान को रामजी याद आए। तो आ पहुंचे डुमरांव से बक्सर। उन्होंने रामजी से मदद की गुहार लगाई। बोले, निकाह का सामान तो लोगों की मदद से जुट गया है। जरूरत है तो बस 15-16 लोगों के भोजन पानी के सामान और सेवा सत्कार की चीजों की । इतने भर लोग निकाह में शामिल होंगे। रामजी ने पूछा बस इतना ही। तब एहसान ने कहा कि एक घड़ी मिल जाती तो दमाद की कलाई में बांध देते। एहसान को विदा कर रामजी निकल पड़े मदद की गुहार लगाने बक्सर की गलियों में। और मजा यह कि जिसने भी सुना मदद करने को आतूर हो उठा। शुरुआत रामजी के घर से हुई। उनकी बहन माधवी सिंह ने नाक में पहनी जाने वाली सोने की कील सौंप दी। किसी ने दुल्हन को पहने के लिए कपड़ा दिया। घड़ी वाले ने सात सौ की घड़ी पांच सौ में दे दी। इसी तरह खाने पीने का सारा सामान जुट गया। सारा सामान लेकर साथियों संग रामजी डुमरांव जाकर एहसान खान को दे आए। एहसान खान ने बताया। मेरे तीन बेटे थे। तीनों के तीनों नहीं रहे। पर मेरे अपने बक्सर वालों का प्यार देखकर महसूस ही नहीं हो रहा कि मेरे बेटे नहीं हैं और मेरी पोती अनाथ है। उसका अपना बाप भले दुनिया में नहीं है। लेकिन कई बाप उसके लिए खड़े हो गए। हिंदू मुसलिम की राजनीति के संबंध में पूछे जाने पर एहसान बोले, हिंदू-मुसलिम कुछ नहीं होता साहब। असल धर्म तो प्रेम है। बक्सर वालों में यह प्रेम भरपूर है। बाकी सब बातें बेमानी हैं।