बक्सर खबर। जिले में यूरिया की हो रही कालाबजारी ने किसानों के गुस्से को भड़काना शुरू कर दिया है। इस गुस्से को फैलने से रोकने के लिए प्रशासन कार्रवाई करने के बजाय अपनी आंखें मूंदे पड़ा है। जबकि दुकानदारों द्वारा की जा रही कालाबाजारी से वह पूरी तरह वाकिफ है।
इससे आजिज किसानों का एक समूह बाजार समिति स्थित कृषि विभाग के कार्यालय पहुंच गया। यहां किसान जिला कृषि पदाधिकारी को घेरने के फिराक में थे, लेकिन क्षेत्र दौरा का दिन होने के चलते वे नहीं मिले। इसके बाद यहां से किसानों का यह समूह अपनी शिकायत लेकर जिलाधिकारी से मिलने गया।
बता दें कि गेहूं के खेतों की सिचाईं कर चुके किसानों को यूरिया की जरूरत है, लेकिन पूरे जिले में यूरिया की किल्लत चल रही। जिले के इफ्को सेंटर से लेकर खुदरा दुकानदारों तक पर यूरिया के लिए किसानों की लाइन लग रही है। इफ्को सेंटर पर आधार दिखाने के बाद तीन बोरी यूरिया ही मिल पा रही है। भीड़ इतनी हो रही है कि नौबत मारपीट की आ जा रही है, लेकिन न तो थाने की पुलिस को इससे मतलब है नहीं प्रखंड और जिला प्रशासन के अधिकारियों को। यही हाल खाद बीज वाले खुदरा दुकानदारों का है। वे ब्लैक में यूरिया बेचने के लिए किसानों से तरह तरह के बहाने कर रहे हैं। एक किसान ने बताया कि दुकानदार पहले आधार लेकर उन्हें यूरिया की बोरी दे देते थे, लेकिन अब उनसे जमीन की करेंट रसीद मांगी जा रही। एक किसान ने बताया कि वह मालगुजारी देकर खेत लिया है। उसके पास जमीन की रसीद नहीं है। बिना रसीद दुकानदार खाद देने को राजी नहीं हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि क्या करें। एक अन्य किसान का कहना था कि कल तक आधार कार्ड पर यूरिया की बोरी मिल रही थी लेकिन अब रसीद मांगी जा रही है। यही नहीं दुकानदारों द्वारा जिला कृषि पदाधिकारी से आदेश लाने को कहा जा रहा है। नियम कब और कैसे बदला गया, उन्हें नहीं जानकारी। इसी को लेकर वे लोग जिला कृषि पदाधिकारी से मिलने आए हुए थे, लेकिन वे कार्यालय में मिले ही नहीं।
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