‌‌का गुरू, एक तरफ साफ किए, दूसरी तरफ छोड़ दिए

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बक्सर खबर। बक्सर में एक कहावत आम थी। उपर से ठाट-बाट नीचे रमरेखा घाट। हालाकि अब वह कहावत धीरे-धीरे कमजोर पड़ती जा रही है। लेकिन, पुरानी बाते अक्सर याद आ जाती हैं। जब रामरेखा घाट का जिक्र होता है। यहां हमकों कुछ कहने की जरुरत नहीं। यह तस्वीर ही आपको सच बता रही होगी। डीएम ने निरीक्षण किया। प्रशासन ने तस्वीर भी जारी की। जो नए घाट बने हैं। उनकी सफाई हुई। बाढ़ के कारण वहां काफी गाद जमा हो गई थी।

घाटों की व्यवस्था में लगे मजदूर, रामरेखा घाट की सफाई करते लोग

तट के उपर तक मिट्टी आ गई थी। छठ को लेकर नगर परिषद ने खूब कुदाल चलाया। मोटर लगाकर सफाई भी हुई। जाहिर है इसका टेंडर किसी को मिला होगा। अफसर तो घाट साफ करने से रहे। लेकिन, जिन लोगों ने यह काम किया। छोटे विवाह मंडप के सामने के घाट को साफ कर निकल गए। पुराने घाट को छोड़ दिया। यहां जमा मिट्टी अब व्रतियों के लिए समस्या बन गई है। जिन लोगों ने यहां घाट बनाया है। वे लगातार सफाई के प्रयास में जुटे हैं। लेकिन यहां उकनी औकात छोटी साबित हो रही है। आज गुरुवार को उन लोगों ने घाट पर मौजूद सफाई करने वालों से आग्रह किया। उन्होंने मना कर दिया। अब यहां एक प्रश्न उठता है। क्या घाटों की सफाई करने वाला प्रशासन दिखावा कर रहा था। यह तस्वीर तो कुछ ऐसा ही बयां कर रही है। इतना ही नहीं, बहुत से लोग ऐसे भी हैं। जो खुद को समाजसेवी बता अखबारों में कुछ दिनों से लगातार छपते आ रहे हैं। ऐसे साफ होगा, वैसे साफ होगा। लेकिन, भाई अगर इस तरफ साफ होगा तो कैसे होगा। सिर्फ वाह-वाही लुटने के लिए लिफाफा दिखाने की क्या जरुरत है। वैसे भी यह रामरेखा घाट है। यहां तो सबकुछ चलता है।

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