बक्सर खबर। आज गुरुवार को चौसा में जन अदालत का आयोजन हुआ। सबके लिए नहीं उन लोगों के लिए जिनकी जमीन वहां बनने वाले थर्मल पावर को चाहिए। सुनवाई की घोषणा पूर्व से थी। लोग जमा हुए और तरह-तरह के प्रश्न किए। आप लोगों की योजना क्या है। आप चाहते क्या हैं। जमीन हम दें, यहां काम किसी और को मिले। कोई अधिकारी जनता की बात सुनता नहीं। बात जमीन की आती है तो यहां आकर दरबार लगाता है। हम यहां क्या क्या लिखें। किसानों का गुस्सा सातवें आसमान पर था। बावजूद इसके अब लोग समझदार हो गए हैं। सबने संयम से काम लिया। स्थानीय सूत्रों न बताया कि में लोगो की सुनी गई बाताया सार्वजनिक जन सुनवाई का आयोजन हुआ।
जिसमे एस टी पी एल के अधिकारीयों के अलावा जिला भूमि सुधार पदाधिकारी व पटना के अनुग्रह नारायण सिंह शोध संसथान के प्रोफेसर अविरल पाण्डेय व परियोजना क्षेत्र के ग्रामीण उपस्थित थे। किसानों ने पूछा अब तक यह नहीं बताया गया। मुआवजा किस दर पर मिलेगा। प्रशासन हो या कंपनी। हमेशा किसानों को अंधेरे में रखते हैं। कभी कहते हैं जमीन लीज पर ली जानी है। कुछ कहते हैं अधिग्रहण होगा। हालांकि अधिकारियो ने सभी किसानो की बात सुनी। लेकिन, कोई निर्णय नहीं बताया गया। इस शिविर में कनकनारायण पुर, धर्मगतपुर, न्यायीपुर, चौसा, बहादुरपुर, मोहनपुरवा, सिकरौल व बनारपुर के किसानों का आमंत्रित किया गया था। इन इलाकों में वाटर कारीडोर, रेल कारीडोर, मुख्य गेट, बल्ब का क्राउन भाग एवं अतरिक्त कार्य के लिए भूमि का अधिग्रहण होना है।