-हमेशा बदलता था ठिकाना, फिलहाल बीस हजार की कर रहा था नौकरी
बक्सर खबर। अपराधी चंदन गुप्ता पुलिस के लिए सरदर्द बन गया था। उसके विरूद्ध पचास हजार का इनाम रखा गया था। क्योंकि बिहार के तीन जिलों में उसके खिलाफ नौ लोगों की हत्या का मामला दर्ज है। आज रविवार को जब चंदन गुप्ता मीडिया के सामने प्रस्तुत किया गया। एसपी उपेन्द्र नाथ वर्मा ने बताया यह पश्चिम बंगाल के मालदा में नौकरी कर रहा था। इस वजह से पकड़ा गया। एसपी ने बताया सबसे चौकाने वाली बात यह सामने आई है कि जिस जरायम की दुनिया में यह उतरा। वहां भी लोगों ने इसे ठगा। यह पहले शेरू सिंह के संपर्क में आया। फिर अपराधी बनता चला गया।
नौ हत्याओं में चंदन का नाम, खुंटी यादव में भी मिली थी सुपारी
बक्सर खबर। गिरफ्तार चंदन गुप्ता पुत्र स्व विरेन्द्र गुप्ता, ग्राम कसियां, थाना डुमरांव का आपराधिक इतिहास बहुत लंबा हो चुका है। एसपी यू एन वर्मा ने बताया कि हत्या के छह मामलों में उसका नाम आया है। सबसे बड़ी घटना रही सासाराम के धनजी सिंह की हत्या। जहां तीन लोगों की हत्या हुई थी। इसके अलावा बक्सर नगर थाना क्षेत्र में हुई खुंटी यादव की हत्या में भी उसका नाम आया था। डुमरांव में दिनेश लाल हत्याकांड, बक्सर औद्योगिक में सत्येन्द्र यादव हत्या कांड में इसकी संलिप्तता है। इसके अलावा सिवान में दवा दुकानदार एवं ग्राम डिभी में हरेन्द्र एवं अजय यादव की हत्या में भी इसका नाम शामिल है। इसके अलावा रंगदारी मांगने के पांच मामले दर्ज हैं।
पकड़ा गया उसका साथी सिद्धांत
बक्सर खबर। एसपी ने बताया कि चंदन गुप्ता का मुख्य साथी ब्रिगेडियर उर्फ सिद्धांत था। जो डुमरांव के व्यवासायियों को टार्गेट करता था। पुलिस ने उसे दुबारा गिरफ्तार किया है। वह पहले आर्म्स एक्ट में जेल जा चुका है। पूछताछ में पता चला है। यही मुख्य लाइनर का काम करता है। इसके अन्य साथियों में शेरू सिंह, अमित सिंह, अनिश मिश्रा, रौशन रजक, बंटू चौबे, बबली सिंह व बिट्टू केशरी हैं। इसके अलावा सिवान के प्रियांशु और गोलू सिंह भी इसके साथी हैं। यह हमेशा बाहर रहता था। इस लिए बहुत कम लोग इसके पहचानते थे। पूछताछ में पता चला है कि इसके दो साथी अनिश मिश्रा और सिट्टू तिवारी संभवत: सिवान में किसी की गोली का शिकार हो गए थे।
नाम बदलकर कर रहा था नौकरी
बक्सर खबर। एसपी उपेन्द्र नाथ वर्मा ने बताया कि यह मालदा में नाम बदलकर नौकरी कर रहा था। वहां सूरज सिंह के नाम से इसे कुछ लोग जानते थे। जीवन की गाड़ी चलाने के लिए उसने बीस हजार की नौकरी की थी। लेकिन, पुलिस वहां तक पहुंच गई। एसपी ने बताया इससे पहले वह महाराष्ट्र व अन्य जगहों पर भी छीपकर समय गुजार चुका है। इस सफलता में बक्सर पुलिस और एसटीएफ का सहयोग रहा है। इसके पास से किसी तरह का हथियार बरामद नहीं हुआ है।